Bilaspur: कोलका में फैला अफ्रीकन स्वाइन फ्लू, हुई इन 36 बेजुबानों की मौ#त

Edited By Kuldeep, Updated: 08 May, 2025 07:17 PM

zanduta african swine flu speechless death

बिलासपुर के झंडूता उपमंडल के कोलका गांव में पालतू सूअरों में लाइलाज घातक अफ्रीकन स्वाइन फ्लू फैलने का मामला प्रकाश में आया है।

झंडूता (जीवन): बिलासपुर के झंडूता उपमंडल के कोलका गांव में पालतू सूअरों में लाइलाज घातक अफ्रीकन स्वाइन फ्लू फैलने का मामला प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एहतियात के तौर पर एक फार्म को खाली कर दिया गया है। इस फॉर्म में करीब 40 सूअरों के साथ सुरेश नामक एक किसान ने अपना व्यवसाय आरंभ किया था जिसके सूअर अकस्मात अज्ञात रोग की चपेट में आ गए। किसान ने समीपवर्ती पशुपालन विभाग के अस्पताल में इस संदर्भ में सूचित किया। मौके पर पशुपालन विभाग की टीम आई।

उन्होंने सैंपल लिए जो प्रयोगशाला में परीक्षण के उपरांत पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 36 सूअर स्वयं लाइलाज रोग अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से मर गए जबकि पशुपालन विभाग ने रोग के संक्रमण के बाहर जाने से बचाव एवं के सावधानी के तौर पर 4 सूअरों पर किलिंग प्रक्रिया अपनाई। पीड़ित किसान सुरेश कुमार ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू रोग की चपेट में आने से उसके 40 सूअरों के मरने से आर्थिक तौर पर करीब उसे 9 लाख रुपए की हानि पहुंची है। मुआवजे के तौर पर उसे आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. विनोद कुमार कुंदी ने किसानों से आग्रह किया कि यदि किसी को इस तरह के लक्षण अपने फार्म के सूअरों में दिखते हैं तो विभाग को सूचित करें। अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली सूअरों में फैलने वाला एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल रोग है। यह स्वाइन फ्लू से अलग है और मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन विभिन्न प्रकार के मवेशियों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के फैलने का खतरा बना रहता है। इस संदर्भ में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. विनोद कुमार कुंदी ने पुष्टि की। उन्होंने पशु पालकों से आग्रह किया कि यदि किसी को इस तरह के लक्षण अपने फार्म के सूअरों में दिखते हैं तो विभाग को सूचित करें। अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली सूअरों में फैलने वाला एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल रोग है।

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू सूअरों का एक गंभीर और अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो घरेलू और जंगली दोनों सूअरों को प्रभावित कर सकता है। यह रोग 100 प्रतिशत मृत्यु दर के साथ आता है। यह मनुष्यों या अन्य पशु प्रजातियों के लिए संक्रामक नहीं है, लेकिन सूअरों के लिए यह एक बड़ा खतरा है।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण
प्रभावित सूअरों में अचानक तेज बुखार देखा जाता है, जो बीमारी का पहला लक्षण हो सकता है। सूअर खाना बंद कर देते हैं या बहुत कम खाते हैं। सूअर असामान्य रूप से सुस्त, कमजोर और गतिहीन दिखाई देते हैं। वे अक्सर लेटे रहते हैं और सामान्य गतिविधियों में रुचि नहीं दिखाते। त्वचा पर लाल या नीले-बैंगनी धब्बे, खासकर कानों, पूंछ, पैरों, पेट या नाक पर दिखाई देते हैं।

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