कब निकलेगा JOA पोस्ट कोड-556 की भर्ती का परणिाम, आयोग के आश्वासनों से अभ्यर्थियों में रोष

Edited By Vijay, Updated: 17 Nov, 2018 06:10 PM

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जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 का अंतिम नतीजा जारी न होने से अभ्यर्थियों में आयोग के प्रति गहरा रोष पनपता जा रहा है। अंतिम नतीजे जारी न होने से आयोग की कार्यप्रणाली पर अभ्यर्थी लगातार प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। उनका कहना है कि न जाने इसी भर्ती...

शिमला: जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 का अंतिम नतीजा जारी न होने से अभ्यर्थियों में आयोग के प्रति गहरा रोष पनपता जा रहा है। अंतिम नतीजे जारी न होने से आयोग की कार्यप्रणाली पर अभ्यर्थी लगातार प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। उनका कहना है कि न जाने इसी भर्ती प्रक्रिया को बेवजह क्यों लटकाया जा रहा है और आयोग से रिजल्ट निकालने के लगातार झूठे आश्वासन मिल रहे हैं। हाल ही में आयोग सचिव ने भर्ती पर कोर्ट में केस होने का भी हवाला दिया था जोकि उचित है। मगर यहां गौर करने की बात है कि भर्ती के परिणाम पर कोर्ट से कोई स्टे नहीं है। हालांकि माननीय हाईकोर्ट ने उक्त मामले में 28 अगस्त, 2018 को दी गई जजमैंट में भर्ती प्रक्रिया को भर्ती आर. एंड पी. से ही पूर्ण करने को कहा है।

जे.ओ.ए. (आई.टी.) के आर. एंड पी. नियम स्पष्ट नहीं
मीडिया के माध्यम से भी कई बार आयोग की तरफ से ऐसे बयान आते हैं कि  जे.ओ.ए. (आई.टी.) के आर. एंड पी. नियम स्पष्ट नहीं है। कुछ समय पहले लोक सेवा आयोग शिमला ने जे.ओ.ए. (आई.टी.) भर्ती को आर. एंड पी. से ही संपन्न करवाया था और उन्होंने योग्य अभ्यर्थियों का ही चयन किया था। सोचने की बात है कि एक ही राज्य में दो आयोगों में अलग-2 भर्ती नियम एक ही भर्ती पर कैसे लागू हो सकते हैं? ध्यान रहे कि माननीय आयोग ने पिछले वर्ष पोस्ट कोड-447 भर्ती प्रक्रिया को क्लैरिफिकेशन और आर. एंड पी. के आधार पर पूरा किया था लेकिन मामला हाईकोर्ट में चला गया और हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को आर. एंड पी. नियमों के अनुसार पूरी करने को कहा। कुछ अभ्यर्थियों ने पोस्ट कोड-556 के मामले में पुनर्विचार याचिका माननीय कोर्ट में लगाई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए माननीय ट्रिब्यूनल को क्लैरिफिकेशन दस्तावेज का मसला निरीक्षण हेतु भेजा है। पिछले छ: महीनों से माननीय आयोग अंतिम परिणाम निकालने में खुद को असहाय महसूस कर रहा है।

अभी तक पूरी नहीं हुई उम्मीदवारों के डिप्लोमों की जांच
पोस्ट कोड-447 के अंतर्गत लगे हुए उम्मीदवारों को महज असंवैधानिक स्पष्टीकरण के आधार पर शपथ पत्र भरवाकर नौकरी दी गई है और अभी तक उनके डिप्लोमों की जांच भी पूरी नही हुई है। हाल ही में डा. वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय तथा एन.आई.ई.एल.आई.टी. द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया गया, जिसमें केवल मान्यता प्राप्त संस्थान से अर्जित डिप्लोमा व डिग्रीधारकों को ही मौका दिया गया और गैर-मान्यता प्राप्त संस्थाओं से किए गए डिप्लोमों को अस्वीकार किया गया। एच.पी.यू., वाई.एस.पी.यू., एच.पी.पी.एस.सी. को आर.एंड. पी. नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं तो माननीय आयोग को क्यों नहीं? इसे विडम्बना ही कहा जा सकता है कि माननीय आयोग क्यों नियम अस्पष्ट होने का हवाला दे रहा है?

कार्मिक विभाग से ली जाएगी आर.टी.आई.
सूचना के अधिकार के तहत आयोग व विभाग से 447 में लगे अभ्यर्थियों के दस्तावेज जांच हेतु जानकारी मांगी गई थी। प्राप्त तथ्यों से प्रतीत होता है कि कोई भी दस्तावेज जांच उक्त भर्ती मामले में नहीं हुई है। सवाल ये उठता है कि जे.ओ.ए. (आई.टी.) सरकारी नौकरी में लगे अभ्यर्थियों द्वारा सलंग्न दस्तावेजों की प्रमाणिकता मान्यता का पैमाना स्तर क्या है? या मात्र क्लैरिफिकेशन को आधार मानकर दस्तावेज जांच को दरकिनार कर दिया गया। जल्द ही कार्मिक विभाग से भी आगामी समय में आर.टी.आई. के माध्यम से सूचना मांगी जाएगी कि इन पदों पर आसीन कर्मचारियों के दस्तावेज जांच का क्या आधार रहेगा? सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता के संदर्भ में कई ऐसी महत्वपूर्ण जजमैंट दी है जहां पूर्णत: स्पष्ट है कि सरकारी नौकरी के लिए डिप्लोमा और डिग्री मान्यता प्राप्त संस्थान से होना अति आवश्यक है।

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