Edited By Kuldeep, Updated: 04 Jun, 2024 05:27 PM
छावनी में मंगलवार को 14 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र के सलारिया स्टेडियम में अग्निवीर जवानों के तृतीय बैच की पासिंग आऊट परेड का आयोजन किया गया।
सुबाथू (निखिल): छावनी में मंगलवार को 14 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र के सलारिया स्टेडियम में अग्निवीर जवानों के तृतीय बैच की पासिंग आऊट परेड का आयोजन किया गया। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए 155 जवान 31 सप्ताह का कठिन प्रशिक्षण पूर्ण कर भारतीय सेना में शामिल हुए। इससे पहले सेना के धर्मगुरु ने जवानों को देश की रक्षा की शपथ दिलाई। स्टेशन कमांडिंग अधिकारी ब्रिगेडियर पीपी सिंह (एवीएसएम, वीएसएम) ने परेड की समीक्षा की। परंपरा अनुसार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ जवान राजीव विश्वकर्मा को चांदी की खुखरी एवं मैडल से सम्मानित किया। इसके अलावा ड्रिल में प्रीतम तमांग को सर्वश्रेष्ठ चुना गया।
ब्रिगेडियर पीपी सिंह ने जवानों को भारतीय थल सेना में शामिल होने पर बधाई दी। समारोह के दौरान जवानों ने वीरता से परिपूर्ण कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। इस दौरान पाइप बैंड द्वारा बजाई गई देश भक्ति की धुन एवं सैन्य जवानों और उपस्थित लोगों द्वारा लगाए गए देश भक्ति एवं वीरता के नारों से स्टेडियम गूंज उठा। इस दौरान देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार अग्निवीर जवान आत्मविश्वास से लबरेज दिखे।
209 वर्ष पहले सुबाथू में हुआ था गठन
अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने गोरखा सैनिकों को युद्ध में हरा दिया था। इस सेना के कमांडर जनरल अमर सिंह थापा थे। गोरखा सेना के साहस और कौशल से अंग्रेज हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने सुगौली की संधि में जोड़े गए प्रस्ताव के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती की। 24 अप्रैल, 1815 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सुबाथू में रैजीमैंट की स्थापना की। इसका नाम फर्स्ट नुसरी बटालियन रखा गया। इस रैजीमैंट में उन गोरखा सैनिकों को शामिल किया गया, जो ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से युद्ध में हार गए थे। इसी बटालियन से गोरखा रैजीमैंट के गठन की नींव रखी गई। गोरखा रैजीमैंट के जवानों द्वारा "जय मां काली आयो गोरखाली" के उद्घोष मात्र से ही दुश्मनों में हाहाकार मच जाता है। गोरखा रैजीमैंट के जवानों की वीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भूतपूर्व थल सेना अध्यक्ष सैम मानेकशॉ ने कहा था कि यदि कोई यह कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है। कहते हैं कि तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने कहा था कि अगर उसके पास गोरखा रैजीमैंट होती तो वह पूरे विश्व पर कब्जा कर लेता।
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