वित्त वर्ष में 5वीं बार कर्ज लेने की तैयारी, प्रदेश सरकार ने निकाला ये तरीका

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Nov, 2017 12:58 PM

preparation of loan for 5th time in the financial year

विधानसभा चुनावों के नतीजों से ठीक पहले घटते राजस्व के ...

शिमला: विधानसभा चुनावों के नतीजों से ठीक पहले घटते राजस्व के बीच 53 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष में एक बार फिर 100 करोड़ का कर्ज ले रही है। जबकि अभी एक वित्तीय तिमाही शेष है। सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में यह साफ नही किया कि वह 2 महीने बाद दोबारा कर्ज क्यों ले रही है। दरअसल सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष में लगभग पौन ढाई हजार करोड़ का लोन ले चुकी है।  नई सरकार के लिए मतदाताओं की  सैकड़ों चुनावी घोषणाओं को पूरा करना थोड़ा मुश्किल है।  सरकार ने 10 साल की अवधि के साथ 300 करोड़ रुपए की राशि के लिए नीलामी के माध्यम से प्रतिभूतियां बेचने की पेशकश की है

कार्यालय में 21 नवंबर को होगी नीलामी
जानकारी के मुताबिक आरबीआई के मुंबई कार्यालय में 21 नवंबर को नीलामी होगी। जिस कारण भारतीय रिजर्व बैंक कोर बैंकिंग समाधान प्रणालियों के जरिए इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में नीलामी के लिए बोलियां जमा हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के वार्षिक बजट प्लान का अधिकांश हिस्सा कर्मचारी सैलरी और पेंशन में जाता है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए सरकार को केंद्र पोषित योजनाओं या फिर कर्ज पर ही निर्भर होना पड़ता है। सरकार ने जीएसटी काउंसिल की बैठक को लेकर राजस्व में 40%तक कमी की बात रखी थी। नई कर प्रणाली जीएसटी को इसके लिए बड़ा जिम्मेदार माना गया। हालांकि, नई कर प्रणाली के लागू होने से राजस्व घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी, लेकिन यह राशि अगले वित्तीय वर्ष में मिलेगी। ऐसे में सरकार को अगली तिमाही के लिए अतिरिक्त ऋण लेना पड़ सकता है।

घोषणाओं के लिए फंड जुटाना बेहद मुश्किल 
बताया जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव घोषणापत्र में एेसी घोषणाएं की जिन्हें अब पूरी तो करना हैऔर उन्ह  घोषणाअों को पूरा करने में करोड़ों का फंड लगेगाष। कर्मचारियों से संबंधित 4-9-14 टाइम स्केल, पेंशन बहाली और अनुबंध की समयावधि घटाने जैसी घोषणाओं के लिए फंड जुटाना बेहद मुश्किल दिख रहा है। लोन की क्रेडिट लिमिट के अनुसार सरकार एक हजार करोड़ और ले सकती है, लेकिन विकास कार्यों के साथ कर्मचारियों को खुश करना आसान नहीं होगा। इन कार्यों के लिए पैसा जुटाना नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौति रहेगी। 
 

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