Edited By Vijay, Updated: 21 Feb, 2020 04:08 PM
खूनी नहर से मशहूर बीएसएल नहर आज तक सैंकड़ों लोगों को काल का ग्रास बना चुकी है, वहीं दूसरी और मंडी जिला का एक शख्स आज तक नहर से कई लोगों की जान बचा कर अपनी जांबाजी साबित कर चुका है, जिसके लिए उसे राष्ट्रपति जीवन रक्षक अवार्ड से समानित भी कर चुके हैं...
सुंदरनगर (नितेश सैनी): खूनी नहर से मशहूर बीएसएल नहर आज तक सैंकड़ों लोगों को काल का ग्रास बना चुकी है, वहीं दूसरी और मंडी जिला का एक शख्स आज तक नहर से कई लोगों की जान बचा कर अपनी जांबाजी साबित कर चुका है, जिसके लिए उसे राष्ट्रपति जीवन रक्षक अवार्ड से समानित भी कर चुके हैं लेकिन उसे आज तक प्रदेश सरकार और बीबीएमबी प्रसाशन द्वारा की गई अनदेखी का मलाल है।
बता दें कि मंडी जिला के बल्ह उपमंडल की ग्राम पंचायत सलवाहण के बली राम (61) पुत्र संतु राम निवासी गांव राओ, डाकघर दयारगी, तहसील बल्ह, जिला मंडी वर्ष 1977 से अब तक लगभग 70 से अधिक लोगों और 500 जानवरों को जिंदा और 20 शवों को नहर से बाहर निकाल चुके हैं। बली राम राओ पुल के पास एक छोटी सी दुकान में ही बिस्तर लगाकर 24 घंटे इस मानवीय सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और इसी दुकान से गुजर-बसर कर अपने परिवार का पेट पालते हैं।
बली राम निजी तौर पर पिछले कई दशकों से बिना किसी सरकारी मदद के इस कार्य में निरंतर लगे हुए हैं लेकिन उन्हें प्रदेश सरकार और बीबीएमबी प्रबंधन के उदासीनता भरे रवैये का मलाल जरूर है। बली राम ने कहा कि वर्ष 1977 में जब बीएसएल नहर में पानी छोड़ा गया था उस समय से वह इस नहर से सैंकड़ों लोगों और जानवरों को बचा चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें वर्ष 2009 में राष्ट्रपति द्वारा जीवन रक्षा पदक प्रदान करने के साथ 30 हजार रुपए का ईनाम भी दिया गया था। उन्होंने कहा कि परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है। उनके परिवार में पत्नी, 2 बेटे, बहुएं और पोता-पोती हैं, जिनका खर्च इसी छोटी सी दुकान से चल रहा है।
उन्होंने बताया कि उनकी दुकान में रखी गई रस्सियों के सहारे जान जोखिम में डालकर दिन-रात नहर में गिरने वाले लोगों व जानवरों की जान बचाई जाती है। बीबीएमबी प्रबंधन से उनकी सुरक्षा के लिए मात्र एक लाइफ सेविंग किट की मांग की गई थी जो आजदिन तक नसीब नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि उन्हें आज तक हिमाचल प्रदेश सरकार और बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा प्रोत्साहित न करने का मलाल हैै।