Khushwant Singh LitFest: वन्यजीव विशेषज्ञ एमके रंजीत सिंह ने वन्यजीवों और पहाड़ों के संरक्षण पर दिया बल

Edited By Vijay, Updated: 19 Oct, 2024 03:26 PM

khushwant singh literature festival

खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल के दूसरे दिन की शुरूआत बेला बाहार के मधुर संगीत से हुई, जिसे पंडित नवीन गंधर्व ने प्रस्तुत किया। उनकी संगीत प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कसौली (जितेंद्र): खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल के दूसरे दिन की शुरूआत बेला बहार के मधुर संगीत से हुई, जिसे पंडित नवीन गंधर्व ने प्रस्तुत किया। उनकी संगीत प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान संगीत की सुरलहरियों में खोए दर्शकों ने संस्कृति और कला का आनंद उठाया।
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फैस्टीवल के अगले सत्र में प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ एमके रंजीत सिंह, गार्गी रावत और सारा जैकब के बीच वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण पर गहन चर्चा हुई। एमके रंजीत सिंह ने अपने अनुभव सांझा करते हुए पहाड़ों और वन्यजीवन के प्रति अपने लगाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुझे पहाड़ बहुत पसंद हैं, क्योंकि वहां वन्य जीवन का विस्तार देखने को मिलता है। उन्होंने 1956 के दाची गांव के दौरे का जिक्र किया, जो 10 गांवों से मिलकर बना था और श्रीनगर तथा डल झील को पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत था। उन्होंने बताया कि कैसे पहले बर्फ से ढके हुए पहाड़ पानी का मुख्य स्रोत हुआ करते थे, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के कारण यह स्थिति बदल रही है। उन्होंने लद्दाख के अपने दौरे का अनुभव सांझा करते हुए कहा कि पहाड़ों पर बर्फ की पहले जैसी स्थिति नहीं है और हम इन सुंदर बर्फीले पहाड़ों और वन्य जीवन को बचाने के लिए प्रयत्न नहीं कर रहे हैं।
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वन्य जीवन संरक्षण पर बात करते हुए एमके रंजीत सिंह ने कहा कि हम वन्यजीवों की सुंदरता को तो देखना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बचाने के प्रति उदासीन हैं। उन्होंने कहा कि देश में कई वन्यजीव अभ्यारण्य और नैशनल पार्क हैं जैसे कि रणथंभौर, राजाजी नैशनल पार्क और काजीरंगा नैशनल पार्क, लेकिन लोग केवल शेर या तेंदुए को देखने में रुचि रखते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि हम अपने अभ्यारण्यों और वन संपदा का निरंतर दोहन कर रहे हैं और न तो हम खुद इसे रोक रहे हैं और न ही दूसरों को रोक पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। हमें केवल वन्यजीव अभयारण्यों को बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इनके संरक्षण के लिए भी कदम उठाने होंगे। सत्र में गार्गी रावत और सारा जैकब ने भी वन्यजीव संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर ही अपना अस्तित्व बचा सकते हैं।
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