Edited By Vijay, Updated: 26 Jul, 2024 03:45 PM
कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती को आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन भारतीय सेना की वीरता और शौर्य का प्रतीक है, जब 26 जुलाई 1999 को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपनी जीत दर्ज की थी।
कुल्लू (दिलीप): कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती को आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन भारतीय सेना की वीरता और शौर्य का प्रतीक है, जब 26 जुलाई 1999 को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपनी जीत दर्ज की थी। भारत और पाकिस्तान के बीच मई से लेकर जुलाई तक चलने वाले इस युद्ध में कई वीर सपूतों ने अपने प्राण हंसते-हंसते भारत की शान में न्यौछावर कर दिए थे। उनकी शहादत को देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। इस अवसर पर कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलट्री इतिहास है। तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था। उस दृश्य को याद करूं तो कारगिल का युद्ध इतना कठिन था और वहां आड़ के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था।
कर्नल विश्वनाथन ने मेरी गोद में ली थी अंतिम सांस
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि रात का समय था हमने पाकिस्तान की मशीनगन पोस्ट पर हमला किया तो उस लड़ाई में मेरे 9 जवान शहीद हो गए। इसमें कर्नल विश्वनाथन भी थे, उन्हें भी एक गोली लगी और बड़ी मुश्किल से इन्हें खींच कर नीचे लाए व एक पत्थर के नीचे ले गए। खून बह रहा था लेकिन मैं इन्हें सहला रहा था। रोशनी का न तो कोई प्रबंध था न ही रोशनी कर सकते थे। यह भी कारण था कि विश्वनाथन को वह प्राथमिक उपचार नहीं मिल सका जो हम उन्हें दे सकते थे। इसका कारण यह भी था कि सामने से गोलियों की बौछारें हो रही थीं। कर्नल विश्वनाथन ने अंतिम सांस मेरी ही गोद में ली और वीरगति को प्राप्त हुए। पूरी कारगिल की लड़ाई में कर्नल विश्वनाथन सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी थे जो शहीद हुए। इन्हें इनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
आज भी प्रेरित करती हैं और हौंसला देती हैं कारगिल युद्ध की यादें
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने कहा कि कारगिल युद्ध में हिंदुस्तान के 527 रणबांकुरों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें हिमाचल प्रदेश के 52 रणबांकुरे भी शामिल थे। खुशाल ठाकुर ने कहा कि मैं आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध की यादें मुझे आज भी प्रेरित करती हैं तथा हौंसला देती हैं कि हमारा देश आज भी सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने कहा कि हमें देश की सेना और भारतीय होने पर गर्व है।
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