न जूते, न चप्पल – ईशानी ने नंगे पांव "ग्लेशियर, चढ़ाई और पत्थरों के बीच तय की श्रीखंड महादेव यात्रा

Edited By Jyoti M, Updated: 15 Jul, 2025 12:43 PM

ishani completed the shrikhand mahadev yatra barefoot

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की ईशानी ठाकुर ने उत्तर भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा को एक बार फिर नंगे पांव पूरा कर अपनी अटूट आस्था का परिचय दिया है। निरमंड के बागीपुल की रहने वाली 28 वर्षीय ईशानी ने यह यात्रा...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की ईशानी ठाकुर ने उत्तर भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा को एक बार फिर नंगे पांव पूरा कर अपनी अटूट आस्था का परिचय दिया है। निरमंड के बागीपुल की रहने वाली 28 वर्षीय ईशानी ने यह यात्रा सातवीं बार नंगे पांव की है, जो उनकी दृढ़ता और भक्ति को दर्शाती है।

ईशानी का यात्रा का सफर

ईशानी ने पहली बार 2017 में नंगे पांव श्रीखंड महादेव की यात्रा की थी। तब से, वह हर साल इस दुर्गम मार्ग पर बिना जूते-चप्पल के चलती आ रही हैं। केवल कोरोना महामारी के कारण 2020 और 2021 में उन्हें यात्रा रोकनी पड़ी थी। 70 किलोमीटर की यह यात्रा, जिसमें बर्फीले ग्लेशियर और खड़ी चट्टानें शामिल हैं, सामान्यतः भी बेहद चुनौतीपूर्ण मानी जाती है, लेकिन नंगे पांव इसे पूरा करना किसी चमत्कार से कम नहीं।

 

बेघर होने के बाद भी अडिग आस्था

पिछले साल 31 जुलाई की रात को श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा मार्ग पर स्थित भीम डवारी में बादल फटने से बागीपुल का आधा बाजार तबाह हो गया था। इस आपदा में कई लोग बेघर हो गए थे, और ईशानी का परिवार भी उनमें से एक था। उनका रिहायशी मकान महादेव के रौद्र रूप में आई बाढ़ में बह गया था। इस भयंकर व्यक्तिगत त्रासदी के बावजूद, महादेव के प्रति उनकी भक्ति ज़रा भी कम नहीं हुई। बेघर होने के बावजूद, ईशानी ने एक बार फिर महादेव के दर्शन के लिए नंगे पांव इस दिव्य धाम की यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया। उनकी यह कहानी आस्था की शक्ति का एक अद्भुत उदाहरण है।

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इस बार की यात्रा का अनुभव

ईशानी ने बताया कि उन्होंने अपने साथियों के साथ 9 जुलाई को अपनी सातवीं श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू की। इस बार भी, पिछले छह सालों की तरह, वह नंगे पांव ही महादेव के दिव्य धाम के लिए रवाना हुईं। उन्होंने कहा, "आस्था को नमन है, बस महादेव पर भरोसा रखिए।"

इस साल की यात्रा के बारे में बात करते हुए, ईशानी ने बताया कि इस बार बारिश काफी ज्यादा रही। उन्हें बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच महादेव के दर्शन हुए। उन्होंने पिछले छह बार के अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने इस बार भी नंगे पांव 32 किलोमीटर के ग्लेशियर और पत्थरों भरी खड़ी चढ़ाई को पार किया।

ईशानी ने यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जमकर तारीफ की। उन्होंने बताया कि इस बार कठिन रास्तों पर ट्रैकिंग रस्सी लगाई गई है, जिससे क्रॉसिंग काफी आसान हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पूरे रास्ते में आने-जाने की अच्छी व्यवस्था की गई है, जिससे यात्रा पहले से अधिक सुगम हो गई है। ईशानी की यह यात्रा केवल शारीरिक क्षमता का ही नहीं, बल्कि अटूट विश्वास और भक्ति का भी प्रतीक है।

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