वीरभद्र-सुक्खू की जुबानी जंग के बीच बागियों की वापसी की तैयारी में हाईकमान

Edited By Vijay, Updated: 24 Jun, 2018 10:25 PM

highcommand in preparation for return of rebels

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की जुबानी जंग के बीच कांग्रेस हाईकमान संगठन से बाहर चल रहे नेताओं की वापसी करने की तैयारियों में है।

शिमला (राक्टा): पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की जुबानी जंग के बीच कांग्रेस हाईकमान संगठन से बाहर चल रहे नेताओं की वापसी करने की तैयारियों में है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते ऐसा किया जा सकता है। इसके तहत जल्द ही बागियों की संगठन में वापसी हो सकती है। हाल ही में अपने शिमला दौरे के दौरान प्रदेश कांग्रेस की नवनियुक्त प्रभारी रजनी पाटिल ने भी ऐसे संकेत दिए थे। इस दौरान उनके समक्ष कई नेताओं ने बागियों को संगठन में वापस लेने की वकालत भी की थी। सूत्रों के अनुसार इसी कड़ी में अब पार्टी हाईकमान ने संगठन से बाहर चल रहे सभी नेताओं व पदाधिकारियों की सूची तैयार करने को कहा है।


2 पूर्व मंत्रियों को पार्टी में वापस लाने के लिए दिल्ली में हो चुका है मंथन
सूत्रों के अनुसार वीरभद्र सिंह की तत्कालीन सरकार में रहे 2 पूर्व मंत्रियों को पार्टी में वापस लाने के लिए हाल ही में दिल्ली में मंथन भी हो चुका है। हालांकि दोनों की राजनीति वर्तमान में अगल-अलग दिशा में है, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी हाईकमान जल्द ही बड़ा फैसला कर सकता है। सूत्रों के अनुसार पूर्व मंत्री एवं हिमाचल पर्यटन विकास बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष मेजर विजय सिंह मनकोटिया और पूर्व मंत्री सिंघीराम घर वापसी के लिए दिल्ली में तार जोड़ रहे हैं। दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनावों में मनकोटिया और सिंघीराम पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। मेजर विजय सिंह मनकोटिया शाहपुर से तो सिंघीराम ने रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था।


केंद्रीय नेताओं के साथ संपर्क में हैं दोनों नेता
वर्ष 2012 के चुनाव में सत्ता में आते ही वीरभद्र सिंह ने मनकोटिया को पर्यटन विकास बोर्ड में कुर्सी दी थी लेकिन दिसम्बर, 2017 के चुनाव से पहले दोनों नेताओं के बीच दूरियां शुरू हो गई थीं। यहां तक कि मनकोटिया ने फिर से वीरभद्र परिवार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया था। रामपुर से टिकट की दौड़ में शामिल हुए सिंघीराम पर पार्टी ने विश्वास नहीं जताया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। आखिर दोनों नेताओं की हार हुई, ऐसे में अब ये दोनों नेता भविष्य की राजनीति को देखते हुए कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के साथ संपर्क में हैं।


5 साल बाद भी नहीं लिए वापस
वर्ष 2012 के विधानसभा और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी से जिन नेताओं को बाहर किया है, उनमें से कुछ की अभी तक वापसी नहीं हो सकी है। इसका मुख्य कारण अधिकतर नेताओं पर सहमति नहीं बन पा रही है। वर्ष 2012 के चुनावों में वीरभद्र सिंह के जिन समर्थकों ने आजाद चुनाव लड़ा, उन्हें पार्टी में 5 साल बाद भी वापस नहीं लिया। अमूमन कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों में बागियों की वापसी अगले चुनावों से पहले हो जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया है।


100 से अधिक को किया जा चुका बाहर
बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के चलते पार्टी 100 से अधिक नेताओं व पदाधिकारियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इनमें ऐसे नेता भी हैं जो बागी होकर विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ ही मैदान में उतर गए हैं, ऐसे में अब नवनियुक्त प्रभारी के उक्त संकेत से बागियों में भी वापसी का आस जगी है। नगर-निगम चुनाव के दौरान भी कांग्रेस की गुटबाजी साफ झलकी थी। इसके तहत कई नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते संगठन से बाहर किया गया।


पार्टी हाईकमान ही लेगा निर्णय : नरेश चौहान
कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन नरेश चौहान ने बताया कि पार्टी हाईकमान ही बागियों की वापसी पर निर्णय लेगा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के स्तर पर अभी ऐसा कुछ नहीं है। संगठन में वापसी के लिए हाईकमान के संपर्क में कुछ नेता हैं या नहीं, इस बारे में जानकारी नहीं है।

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