Edited By Kuldeep, Updated: 06 Sep, 2024 07:38 PM
हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी द्वारा जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं से उत्पन्न समस्या तथा भूमि से जुड़े मुद्दों तथा भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर शुक्रवार को धर्मशाला के खनियारा में राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया गया।
धर्मशाला (ब्यूरो): हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी द्वारा जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं से उत्पन्न समस्या तथा भूमि से जुड़े मुद्दों तथा भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर शुक्रवार को धर्मशाला के खनियारा में राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों से 200 किसान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर सभी जिलों के कुल 30 सदस्यों ने अपने जिला की तरफ से चर्चा में हिस्सा लिया तथा उपरोक्त समस्याओं बारे अपने अनुभव सांझा किए। अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं की समस्या से किसानों को निजात दिलाई जाए। अधिवेशन में यह भी फैसला लिया गया कि 25 सितम्बर को प्रदेश के किसान जंगली जानवरों के मुद्दे पर संसद घेरने के लिए दिल्ली जाएंगे।
प्रदेशाध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तन्वर ने कहा कि जंगली जानवरों व पशुओं की समस्या प्रदेश भर के किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है और कोई भी सरकार इस समस्या के समाधान के लिए गंभीर नहीं है। जंगली जानवरों के कारण प्रदेश में हर साल लगभग 2300 करोड़ रुपए का नुक्सान होता है। प्रदेश के 10 लाख से अधिक किसानों को 400-500 करोड़ रुपए का नुक्सान होता है। उन्होंने कहा कि बंदरों के निर्यात पर लगी रोक हटनी चाहिए, बंदरों व दूसरे उत्पाती जंगली जानवरों को वर्मिन घोषित कर उनको मारने के लिए वन विभाग के माध्यम से सिद्धस्त शिकारी हायर किए जाएं। वहीं इस दौरान सचिव होतम सोंखला ने कहा कि पशुपालन पर सबसिडी दी जाए, पशुओं की उन्नत नस्ल के लिए प्रोत्साहित किया जाए तथा इसके लिए संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं। वहीं अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश भर में अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए हर जिला व लोकल स्तर पर अधिवेशन आयोजित किए जाएंगे तथा गांव गांव हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।