Edited By Simpy Khanna, Updated: 18 Sep, 2019 11:39 AM
रूढि़वादी परंपराओं को दरकिनार करते हुए एक बेटी ने स्वयं को अनमोल सिद्ध किया है। वर्षों से स्थापित रूढिय़ों से हटकर इस बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह इस बात से सिद्ध होता है कि उपमंडल के टिकरी डूहकी गांव में पिता के गुजरने पर उसकी बेटी ने क्रिया...
बैजनाथ (सुरिन्द्र) : रूढि़वादी परंपराओं को दरकिनार करते हुए एक बेटी ने स्वयं को अनमोल सिद्ध किया है। वर्षों से स्थापित रूढिय़ों से हटकर इस बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह इस बात से सिद्ध होता है कि उपमंडल के टिकरी डूहकी गांव में पिता के गुजरने पर उसकी बेटी ने क्रिया कर्म की सभी रस्में निभाते हुए दाह संस्कार किया।
जानकारी के अनुसार 90 वर्षीय रंगील चंद कटोच की मृत्यु हो गई जिसका कोई बेटा नहीं था। उसकी केवल 4 बेटियां ही थीं। पिता के साथ रहने वाली सबसे बड़ी बेटी से छोटी कंचना देवी ने उनकी मृत्यु के पश्चात क्रिया कर्म की हर रस्म को निभाते हुए श्मशानघाट में जाकर अपने पिता शव को मुखाग्नि भेंट की। वहीं अन्य बहनों ने भी इसमें उसकी मदद की।