Edited By Vijay, Updated: 18 Apr, 2024 04:44 PM
राजधानी शिमला में 1950 से पहले के बने केंद्रीय कार्यालयों व उनकी आवासीय कालोनियों को अब नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करना होगा। शहर में 1950 के पहले के करीब 160 से ज्यादा केंद्रीय कार्यालय व कॉलोनियां हैं।
शिमला (वंदना): राजधानी शिमला में 1950 से पहले के बने केंद्रीय कार्यालयों व उनकी आवासीय कालोनियों को अब नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करना होगा। शहर में 1950 के पहले के करीब 160 से ज्यादा केंद्रीय कार्यालय व कॉलोनियां हैं जिनसे कुछ से 2014 और 2017 से लंबित प्राॅपर्टी टैक्स की रिकवरी करनी है। इसको लेकर नगर निगम प्रशासन ने शिमला में केंद्रीय कार्यालयों को 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का डिमांड नोटिस भेजा है, ऐसे में अब निगम इन्हें प्राॅपर्टी टैक्स के बिल भी अलग-अलग जैनरेट करने की तैयारी कर रहा है। जितने भी कार्यालय और कालोनियां हैं, इन्हें लंबित प्राॅपर्टी टैक्स के बिल भेजे जाने हैं। इससे निगम को करोड़ों रुपए की टैक्स की वसूली होनी है। मामला न्यायालय में होने के कारण निगम इनसे संपत्ति कर वसूल नहीं कर पाया था, लेकिन कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया है।
आईएसबीटी प्रबंधन कंपनी को साढे़ 6 करोड़ का डिमांड नोटिस जारी
नगर निगम प्रशासन ने अपने सबसे बड़े टैक्स डिफाल्टर आईएसबीटी प्रबंधन कंपनी को साढे़ 6 करोड़ रुपए का डिमांड नोटिस भेजा है। निगम को वर्षों से इस कंपनी से लंबित प्राॅपर्टी टैक्स की रिकवरी करनी है। आईएसबीटी से टैक्स वसूली का मामला काफी पुराना है और कंपनी की ओर से पहले बस अड्डा प्राधिकरण से टैक्स वसूली करने का पक्ष निगम के समक्ष रखा गया था लेकिन बस अड्ड प्राधिकरण ने देने से साफ इन्कार कर दिया था क्योंकि बस अड्डे बनाने वाली कंपनी एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी है और इसी कंपनी ने आगे इस प्राॅपर्टी को किराए पर दे रखा है, ऐसे में निगम को टैक्स भी इसी कंपनी से वसूल किया जाना चाहिए। इसके बाद मामला प्रदेश सरकार को भेजा गया था। काफी लंबे समय से मामले पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण निगम को करोड़ों रुपए का नुक्सान हो रहा था लेकिन राज्य सरकार के पास से व मंडलायुक्त के पास चल रहे इस मामले का फैसला अब नगर निगम के पक्ष में आया है।
नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि शहर के केंद्रीय कार्यालयों व कालोनियों से प्रॉपर्टी टैक्स वसूल किया जाना है। इसको लेकर निगम ने 6 करोड़ से ज्यादा का डिमांड नोटिस विभागों को भेजा है, इसके अलावा आईएसबीटी कंपनी को भी साढ़े 6 करोड़ रुपए के प्राॅपर्टी टैक्स का डिमांड नोटिस भेजा गया है। सरकार ने नए बस अड्डे बनाने वाली कंपनी से टैक्स रिकवरी के निर्देश दिए हैं।
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