भरमौर का अनोखा दशहरा! यहां पर नहीं होता रावण के पुतले का दहन और न ही जाता है मनाया

Edited By Jyoti M, Updated: 03 Oct, 2025 12:19 PM

bharmour s unique dussehra ravana s effigy isn t burned here

पूरे देश में विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन जिला चम्बा की शिव नगरी भरमौर में यह पर्व नहीं मनाया जाता और न ही यहां रावण का पुतला जलाया जाता है। यहां तक कि रामलीला का भी मंचन नहीं होता। मान्यता के अनुसार दशानन रावण भगवान भोलेनाथ के...

भरमौर, (उत्तम ठाकुर): पूरे देश में विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन जिला चम्बा की शिव नगरी भरमौर में यह पर्व नहीं मनाया जाता और न ही यहां रावण का पुतला जलाया जाता है। यहां तक कि रामलीला का भी मंचन नहीं होता। मान्यता के अनुसार दशानन रावण भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे। उन्होंने शिव भक्ति के लिए कैलाश पर्वत पर कड़ी तपस्या की थी। भरमौर को भोले शंकर का निवास स्थान भी माना जाता है। रावण शिव भक्त होने के साथ महत्वाकांक्षी ब्राह्मण भी था। वह परमज्ञानी था।

भरमौर चौरासी परिसर के साथ लगती अर्द्ध गंगा कुंड के साथ ही कपिलेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर के साथ ही एक दशमुखी पत्थर की एक शिला भी है, जिस शिला को रावण के रूप में माना जाता है। इसलिए भरमौर में नवरात्रों में रामलीला का आयोजन भी नहीं होता और न ही दशहरे पर रावण का दहन किया जाता है।

चौरासी मंदिर के प्रसिद्ध पुजारी सुरेंद्र शर्मा के अनुसार भरमौर चौरासी मंदिर प्रांगण में स्थित इस कपलेश्वर महादेव के मंदिर के समीप रावण की दस सिरों वाली शिला इसका प्रमाण है कि रावण ने भरमौर के इस मंदिर के समीप कल्प वृक्ष के नीचे भगवान भोले नाथ की तपस्या की थी। उन्होंने बताया कि बहुत वर्ष पहले भरमौर में रामलीला मनाकर जब रावण के पुतलों के दहन का प्रयास किया था तो साथ लगते गांवों के कई घरों में अग्निकांड की घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद न तो कभी यहां रामलीला का आयोजन हुआ और न ही पुतले जलाए गए।

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