Edited By Ekta, Updated: 16 Aug, 2018 03:41 PM
हिमाचल के मनाली से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा है। वह उनको अपना दूसरा घर मानते हैं। बताया जाता है कि वाजपेयी को यह जगह इतनी पसंद रही कि उन्होंने अपने लिए मनाली से सटे प्रीणी में घर बनाया। वह साल 2006 तक हर साल यहां...
मनाली (मनमिंदर): हिमाचल के मनाली से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा है। वह उनको अपना दूसरा घर मानते हैं। बताया जाता है कि वाजपेयी को यह जगह इतनी पसंद रही कि उन्होंने अपने लिए मनाली से सटे प्रीणी में घर बनाया। वह साल 2006 तक हर साल यहां गर्मियों के दिनों में आया करते थे। इस दौरान स्थानीय लोगों के साथ उनका सीधा-संवाद रहता था। अस्वस्थ रहने के बाद वह यहां नहीं आ पाए। आज जब एम्स में भर्ती वाजपेयी की नाजुक हालत को लेकर दिल्ली के लोग दुआंकर रहे हैं तो प्रीणी के निवासी भी अपने चहेते पीएम (वाजपेयी) के लिए उनकी लंबी आयु के लिए मंदिर में प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि वो स्वस्थ्य होकर एक बार फिर मनाली आ सके।
बताया जाता है कि वायपेयी को एम्स में लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें देर शाम इस बारे टीवी के माध्यम से पता चला कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी काफी खराब हैं। तभी से वो लगातार इस मामले में पर नजर रखे हुए हैं। गांव के कुछ लोग सुबह ही गाड़ियों के माध्यम से दिल्ली उनका हाल जानने के लिए रवाना हो गए है। जबकि कुछ ग्रामीण अभी भी गाड़ियों के माध्यम से दिल्ली की और रवाना हो रहे है। पूरा गांव उनकी सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वो जब भी प्रीणी गांव में आते थे तो वो हमेशा हमसे मिलने हमारे घर आया करते थे। आज भी अटल जी के घर मे हमारे घर से ही दूध और दही दी जाती है और वो इसे काफी पसंद करते थे। आज भी उनकी बेटी और दामाद जब भी गांव आते है तो वो आज भी हमारे घर आते है और हमे उनका प्यार मिलता रहता है। उनकी बीमारी की खबर को सुन वे शाम से ही विचलित हो उठे है और स्थानीय नाग देवता से उनकी स्लामती की प्रार्थना कर रहे है। ग्रामीण उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं। साथ ही गांव के प्राइमरी स्कूल को हाईस्कूल बनाया।
टशी दावा नाम के शख्स से था गहरा नाता
वाजपेयी जब भी यहां आते उन्हें एक खास शख्स के आने का इंतजार रहता। उस शख्श का नाम था टशी दावा। जो रोहतांग दर्रे के उस पार लाहौल-स्पीति के ठोलंग गांव में रहता था। दोनों ने 1942 में बड़ोदरा में आरएसएस के विशेष प्रशिक्षण शिविर से ओटीसी सेकेण्ड ईयर किया था। वैचारिक दोस्ती इस कदर परवान चढ़ी कि कालांतर में जब अटल जी प्रधानमंत्री बने तो दोनों की दोस्ती को कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की संज्ञा से भी संबोधित किया गया। यह उस दौर की दोस्ती ही थी कि अटल जी को मनाली प्रवास में खास तौर पर टशी के आने का इंतजार रहता।