अतिरिक्त उपायुक्त ने जातीय भेदभाव और दिव्यांग संरक्षण पर गठित समितियों की ली बैठकें

Edited By Jyoti M, Updated: 25 Sep, 2025 03:07 PM

additional deputy commissioner held meetings of the constituted committees

अतिरिक्त उपायुक्त महेन्द्र पाल गुर्जर ने गुरुवार को जिला स्तर पर जातीय भेदभाव और दिव्यांग संरक्षण पर गठित दो महत्वपूर्ण समितियों की बैठकें लीं। उन्होंने एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की समीक्षा...

ऊना। अतिरिक्त उपायुक्त महेन्द्र पाल गुर्जर ने गुरुवार को जिला स्तर पर जातीय भेदभाव और दिव्यांग संरक्षण पर गठित दो महत्वपूर्ण समितियों की बैठकें लीं। उन्होंने एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई और परस्पर समन्वय के निर्देश दिए।

पहली बैठक अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत गठित जिला सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की थी। बैठक के उपरांत अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य जातिगत भेदभाव को रोकना और पीड़ितों को न्याय व राहत उपलब्ध कराना है। उन्होंने जानकारी दी कि जिले में 31 अगस्त 2025 तक 67 मामले दर्ज हैं। इनमें से 52 मामले न्यायालय में हैं। इसके अलावा 4 मामलों में न्यायालय का फैसला आ चुका है और 4 मामलों में अन्वेषण के बाद एससी एसटी एक्ट की धारा खारिज की गई है, जबकि 7 मामलों में पुलिस अन्वेषण जारी है।

उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के अंतर्गत सजा दिलाने के साथ-साथ पीड़ित लोगों को कानूनी संरक्षण और पुनर्वास राहत राशि विभिन्न धाराओं के तहत एक लाख रुपये से 8 लाख 25 हजार रुपये तक की धनराशि देने का प्रावधान है। इस राशि की प्रथम किस्त एफआईआर दर्ज होने पर, दूसरी किस्त मामला न्यायालय में प्रस्तुत होने पर और शेष राशि का भुगतान फैसला आने पर किया जाता है। अतिरिक्त उपायुक्त ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि वे मामलों की प्रगति पर सतत निगरानी रखें ताकि पीड़ितों को समय पर राहत और न्याय मिल सके।

दूसरी बैठक, राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय स्थानीय समिति की थी, जिसमें ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु-दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों के विधिक संरक्षण पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में बताया गया कि इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद संबंधित व्यक्तियों के लिए स्थायी या सीमित अवधि के विधिक संरक्षक नियुक्त किए जाते हैं। अब तक जिले में 113 स्थायी विधिक संरक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।

अतिरिक्त उपायुक्त ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे दोनों अधिनियमों के तहत निर्धारित प्रावधानों का गंभीरता से पालन करें और पीड़ितों व दिव्यांगजनों को त्वरित राहत और विधिक संरक्षण उपलब्ध कराने में कोई ढिलाई न बरतें। बैठकों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र शर्मा, उप-पुलिस अधीक्षक डॉ. वसुधा सूद, जिला कल्याण अधिकारी आवास पंडित समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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