Edited By Rahul Singh, Updated: 16 Jul, 2024 10:24 AM
शिवनगरी भरमौर के चौरासी परिसर के मंदिर में साक्षात धर्मराज विराजमान हैं। मणिमहेश यात्रा में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र मंदिर के दर्शन करते हैं।
हिमाचल डैस्क : चंबा जिले में शिवनगरी भरमौर के चौरासी परिसर के मंदिर में साक्षात धर्मराज विराजमान हैं। मणिमहेश यात्रा में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र मंदिर के दर्शन करते हैं। कई सिद्ध पुरुष इस बात का दावा भी कर चुके हैं कि उन्होंने धर्मराज की कचहरी में होने वाले सवाल-जवाब खुद सुने हैं।
हालांकि इसके फिलहाल प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद नहीं हैं। मान्यता है कि यहां उनकी कचहरी लगती है और जीव आत्माओं के कर्मों का पूरा हिसाब होता है। शिव नगरी भरमौर क्षेत्र में स्थापित धर्म राज के इस मंदिर को विश्व में इकलौता होने का भी गौरव हासिल है।
बताया जाता है कि वर्ष 1950 के दौरान महाराज कृष्ण गिरि ने कई महीनों तक मंदिर के बाहर साधना की और उन्हें इस बात का आभास हुआ कि यहां धर्मराज की कचहरी लगती है। महाराज कृष्ण गिरि का 1962 में देहांत हो चुका है और उनकी समाधि धर्मराज मंदिर के साथ ही बनी है। धर्मराज मंदिर के पुजारी पंडित रवि ने बताया कि बुजुर्ग कहा करते थे कि मंदिर परिसर में कई बार ऐसी ध्वनियां सुनाई देती हैं जैसे कोर्ट में बहस हो रही हो।
उन्होंने कहा कि चित्रगुप्त सभी के कर्मों का हिसाब रखते हैं और मृत्यु के बाद दूसरी दुनिया का मार्ग धर्मराज की सीढ़ियों से होकर ही जाता है। अच्छे कर्म किए तो अच्छा फल, बुरे कर्म हों तो उन्हें 84,000 योनियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। साधारण भाषा में कहे तो इंसान को मृत्यु के बाद अपने कर्मों का हिसाब- किताब यहां आकर देना पड़ता है। मणिमहेश कैलाश की तरफ जाने वाले साधु तेजस्वी जो इस धाम के महत्व को समझते हैं, चौरासी में रुकने के बाद ही मणिमहेश जाते हैं। आने वाले अगस्त माह में मणिमहेश मेले के दौरान यहां भक्तों की काफी भीड़ रहती है।