Edited By Updated: 17 Apr, 2016 10:21 AM
उतर भारत के प्रसिद्व सिंद्व पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है और प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश ही नहीं...
हमीरपुर (अरविंदर सिंह): उतर भारत के प्रसिद्व सिंद्व पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है और प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश ही नहीं अपितु विदेशों से भी माथा टेकने के लिए पहुुंचते हैं। लगातार हर साल यहां संख्या में इजाफा हो रहा है। मान्यता है कि बाबा बालक नाथ बाल ब्रह्मचारी थे और दियोटसिद्ध की गुफा में करीब 12 सालों तक घोर तपस्या की थी और इसी गुफा के दर्शन मात्र के लिए दूर-दूर लोग पहुंचते है।
मान्यता है कि जो भी सच्चे दिल से बाबा से कुछ मांगता है उसे मिलता जरूर है। लेकिन इस गुफा में महिलाओं के जाने पर पाबंदी है और महिलाएं दूर से ही बनाए हुए चबूतरे पर खड़ी होकर बाबा के दर्शन करती है। सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी यूं ही कायम है और महिलाओं के द्वारा इस परंपरा को कायम रखा हुआ है। जानकारी के मुताबिक युवक मंडल चकमोह के सदस्यों ने शुक्रवार को दियोटसिद्ध पहुंचकर बाबा बालक नाथ मंदिर प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर पवित्र गुफा में महिलाओं के प्रवेश पर पूर्व की भांति प्रतिबंध जारी रखने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि जब से मंदिर अस्तित्व में आया है, तब से महिलाएं पवित्र गुफा में नहीं जाती हैं। मंदिर अधिकारी ईश्वर दास ने बताया कि चकमोह के युवक मंडल ने ज्ञापन सौंपा है। इसके साथ ही उन्होंने ज्ञापन में सदियों की प्रथा को बताते हुए महिला श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा तक जाने से रोकने की मांग की गई है। मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन एवं एस.डी.एम. बड़सर अक्षय सूद ने बताया कि पवित्र गुफा तक अगर कोई महिला श्रद्धालु जाना चाहे तो उसे कोई रोक नहीं सकता है। जब महिलाओं के लिए मंदिर में चबूतरा बना हुआ है तो गुफा तक महिलाओं का जाना तर्कसंगत नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने हिंदू मंदिरों में महिलाओं को पुरुषों की भांति पूजा-अर्चना करने की इजाजत दी है।