आशीष के जज्बे को सलाम, नेत्रहीन को मात देकर बने बैंक अधिकारी

Edited By Updated: 21 Sep, 2016 04:26 PM

ashish parmar blind bank officer ibps

कहते हैं कि अगर कुछ करने का जुनून हो तो कोई भी चीज आपका रास्ता  नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया हिमाचल के हमीरपुर जिले के रहने वाले आशीष परमार ने।

हमीरपुर: कहते हैं कि अगर कुछ करने का जुनून हो तो कोई भी चीज आपका रास्ता  नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया हिमाचल के हमीरपुर जिले के रहने वाले आशीष परमार ने। बताया जा रहा है कि बचपन से आशीष परमार नेत्रहीन है।


जानकारी के मुताबिक 23 वर्ष की उम्र में आशीष परमार प्रोबेशन अफसर की परीक्षा पास कर बैंक में अधिकारी बन गए हैं। दोनों आंखों की रोशनी से महरूम आशीष परिवार पर आश्रित होने के बजाय उनका सहारा बन गए हैं। आई.बी.पी.एस. की ओर से नवंबर 2015 में आयोजित बैंक पी.ओ. की परीक्षा पास कर आशीष का चयन पंजाब एंड सिंध बैंक में हुआ। लंबी चयन प्रक्रिया के बाद इसी वर्ष अगस्त में दिल्ली में ज्वाइनिंग दी। सोमवार को उन्होंने हमीरपुर स्थित बैंक की शाखा में कार्यभार संभाल लिया है।  


सामान्य बच्चों वाले दिल्ली के हिंदू कॉलेज से आशीष ने वर्ष 2014 में स्नातक की डिग्री हासिल की। नेत्रहीन होने के बावजूद हमीरपुर के मौंही गांव के आशीष कंप्यूटर-लैपटॉप पर बड़ी आसानी से काम कर लेते हैं। वे एक विशेष तरह के सॉफ्टवेयर से सामान्य लोगों की तरह हर काम कर लेते हैं। आशीष ने बताया कि ऐसा कोई काम नहीं है जो वह कंप्यूटर पर नहीं कर सकता है। खास बात तो यह है कि उसकी नेत्रहीन बहन भी बैंक में काम करती हैं। आशीष ने बताया कि वर्ष 2007 में जब नौवीं कक्षा में पढ़ता था तो उनकी मां का देहांत हो गया। पिता ने ही उसकी देखरेख कर कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी करवाई। आशीष की बड़ी बहन विजेता परमार भी नेत्रहीन हैं। वे दिल्ली में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी कर रही हैं। 

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