Edited By Updated: 05 Jul, 2016 05:22 PM
ये हैं लाहौल-स्पीति में रांगरिक इलाके के छोटे-छोटे गांव। बता दें कि इस गांव को लोग 6 महीने तक 4-5 फीट बर्फ से ढके रहते हैं।
शिमला: ये हैं लाहौल-स्पीति में रांगरिक इलाके के छोटे-छोटे गांव। बता दें कि इस गांव को लोग 6 महीने तक 4-5 फीट बर्फ से ढके रहते हैं।
भौगोलिक कठिनाइयों की वजह से यहां का जनसंख्या घनत्व 2 लोग/वर्ग किलोमीटर ही है। इतना ही नहीं नवंबर से अप्रैल तक तापमान माइनस 30 से 2 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। आजकल भी जहां का तापमान 12 डिग्री से ज्यादा नहीं है। बर्फ हट चुकी है। अब ये लोग उन 6 महीने की तैयारियों में जुटे हैं, जब ये पूरी दुनिया से कट जाएंगे।
200 रुपए किलो बिकता है मटर
बताया जा रहा है कि यहां लोकल मटर उगाया जाता है, जिसे काला मटर कहते हैं। ये सिर्फ स्पीति में उगाया जाता है। नेचुरल तरीके से तैयार होने वाले इस मटर में औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह इम्यून सिस्टम के लिए अच्छा माना जाता है, इसलिए मनाली के होटलों में ये 200 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है। खास बात यह है कि यहां पानी की कमी की वजह से बहुत छोटे इलाकों में सिर्फ मटर उगाया जाता है, जो जीने के लिए काफी है। इससे होने वाली कमाई से इन लोगों का अगली गर्मी तक का राशन निकल जाता है। हिमाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित लाहौल और स्पीति पहले दो जिले थे, जिन्हें 1960 में एक कर दिया गया था।