इस क्षेत्र में बी.टैक. युवाओं को दिखाया जा रहा ठेंगा, बाहर वालों को दी जा रही नौकरी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Jan, 2018 01:21 PM

b tack youngsters will be shown

बी.बी.एन. में दर्जनों युवा बी.टैक. करके बेरोजगार घूम रहे हैं। युवाओं का कहना है कि प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में उन्हें नौकरी के नाम पर भेदभाव हो रहा है। वह डिग्री करके अगर बाहरी राज्य से युवा आता है तो उसे प्राथमिकता दी जाती है जबकि यहां...

नालागढ़ : बी.बी.एन. में दर्जनों युवा बी.टैक. करके बेरोजगार घूम रहे हैं। युवाओं का कहना है कि प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में उन्हें नौकरी के नाम पर भेदभाव हो रहा है। वह डिग्री करके अगर बाहरी राज्य से युवा आता है तो उसे प्राथमिकता दी जाती है जबकि यहां के युवाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। नालागढ़ रोजगार कार्यालय में बी.टैक. शिक्षित दर्जनों युवाओं ने रोजगार के लिए अपने नाम दर्ज करवाए हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. में स्थानीय युवाओं को नौकरी में तरजीह नहीं दी जा रही है। हालात यह हैं कि युवा दुखी होकर स्वयं ही नौकरी छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं। जिससे यहां पर बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है।

दूषित हवा व पानी स्थानीय लोगों की ही पीना पड़ रहा
नालागढ़ स्थित रोजगार कार्यालय में प्रशिक्षित युवाओं की नामों की कतार लगी हुई है। इंजीनियरिंग करके आए नालागढ़ के भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि यहां पर उद्योग लगने से जहां हवा, जल व ध्वनि प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। वहीं जाम की समस्या से भी दो चार होना पड़ रहा है। यहां पर उद्योग लगाने वाले उद्योग पति शाम होते ही साथ लगते चंडीगढ़ व पंचकूला रवाना हो जाते हैं। लेकिन दूषित हवा व पानी स्थानीय लोगों की ही पीना पड़ रहा है। उसके बावजूद भी युवाओं की अनदेखी हो रही है। होना तो यह चाहिए कि स्थानीय युवाओं को तरजीह दी जाए लेकिन इसके ठीक विपरीत उनकी साथ भेदभाव हो रहा है।
 
मजबूर होकर नौकरी छोड़ रहे युवा
इंजीनियरिंग करके आए भूपेंद्र सिंह, शेर सिंह, संजीव कुमार, अनिल कुमार, जितेंद्र सिंह व अमृत पाल ने बताया कि उन्होंने लाखों रुपए खर्च करके बी.टैक. की डिग्री हासिल की है। लेकिन नौकरी के नाम पर उनके साथ स्थानीय उद्योगों में भेदभाव किया जा रहा है। स्थानीय युवाओं की बजाए बाहरी राज्यों से आए युवाओं को तरजीह दी जा रही है। अगर किसी एप्रोच के चलते युवा को नौकरी पर रख लिया जाता है तो उसे कम वेतन दिया जाता है जबकि उतनी ही योग्यता वाले बाहरी राज्यों के युवाओं को उनसे ज्यादा पैसा दिया जाता है। यही नहीं उनका डैजिग्नेशन भी बाहरी राज्यों से कम दिया जाता है जिससे स्थानीय युवा मजबूर होकर नौकरी छोड़ रहे हैं। 


 

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