वीरभद्र बोले, खेल विधेयक के लिए मुझे लेना पड़ेगा अगला जन्म

Edited By Updated: 29 Dec, 2015 02:24 PM

virbhadra singh sports bill kalyan singh

खेल विधेयक को पारित करवाने के लिए मुझे अगला जन्म लेना पड़ेगा। राजभवन के मौजूदा हालात को देखते हुए मुझे ऐसा नहीं लगता कि...

शिमला: खेल विधेयक को पारित करवाने के लिए मुझे अगला जन्म लेना पड़ेगा। राजभवन के मौजूदा हालात को देखते हुए मुझे ऐसा नहीं लगता कि विधेयक पर शीघ्र कोई निर्णय लिया जाएगा। विधेयक को मंजूरी देना या न देना राज्यपाल का क्षेत्राधिकार है लेकिन इस पर उनको शीघ्र अपने विवेक व संविधान के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। साथ ही राज्यपाल को अपने संवैधानिक दायित्व का ज्ञान होना चाहिए। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह बात सोमवार को नई दिल्ली से लौटने के बाद प्रदेश सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान कही।


उन्होंने कहा कि राज्यपाल अच्छे आदमी हैं। वह योगी और तपस्वी के साथ भारतीय संस्कृति के संरक्षक भी हैं। राज्यपाल के इस स्वभाव के लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर उनका सम्मान करता हूं लेकिन उनको अपने संवैधानिक दायित्वों का बोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में विभिन्न केंद्र सरकारों की तरफ से नियुक्त राज्यपालों के साथ काम किया है। इसमें से ऐसे राज्यपाल भी रहे जिन्होंने अपने संवैधानिक दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया। 


उन्होंने कहा कि विधेयक को पारित करना विधानसभा का काम है, उसके बाद उसे मंजूरी देना या न देना राज्यपाल का क्षेत्राधिकार है। खेल विधेयक को सबसे पहले तत्कालीन राज्यपाल कल्याण सिंह को मंजूरी के लिए भेजा गया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने इसे अपनी मंजूरी नहीं दी। बाद में आचार्य देवव्रत ने 12 अगस्त, 2015 को राज्यपाल पद की कुर्सी संभाली। तबसे लेकर अब तक उन्होंने भी इस बारे कोई निर्णय नहीं लिया है।

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