एक बाल्टी पानी के 100 रुपए, कौन आएगा शिमला घूमने?

Edited By Updated: 11 Apr, 2016 04:07 PM

british period water bucket hotels

अपनी खूबसूरती और ब्रिटिश काल से गर्मी के दिनों में पर्यटन के लिए मशहूर शिमला में इन दिनों बड़ी मुसीबत से जूझ रहा है।

शिमला: अपनी खूबसूरती और ब्रिटिश काल से गर्मी के दिनों में पर्यटन के लिए मशहूर शिमला इन दिनों बड़ी मुसीबत से जूझ रहा है। आज शिमला में हालात ऐसे हो चुके हैं कि यहां के होटलों के साथ-साथ पर्यटकों को भी जरूरत की हर बाल्टी पानी के लिए मोटी रकम ढीली करनी पड़ रही है। यहां की होटलों और उनमें ठहरने वाले पर्यटकों को पानी के लिए काफी पैसा चुकाना पड़ा रहा है। लखनऊ से यहां घूमने आई दीप्ति भटनागर ने कहा कि जिस होटल में वे ठहरी हैं उसमें पानी नहीं है।


उन्होंने बताया कि जहां एक बाल्टी पानी के लिए हमसे 100 रुपए लिए जा रहे हैं। उनके पति ने कहा कि यह देश का संभवतः एकमात्र पर्यटक स्थल है जो उम्मीद करता है कि पर्यटक अपने लिए पानी लेकर आएं। शिमला में नल सूख गए हैं। 2 से 3 दिन में पानी की आपूर्ति की जा रही है। बताया जा रहा है कि शिमला के 450 होटलों, रेस्तरां और गेस्ट हाउस के मालिक और मैनेजर परेशान हैं। निजी आपूर्तिकर्ता आसपास के इलाकों के प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ला रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि शिमला में पानी की किल्लत 2 जनवरी से शुरू हुई जब पीलिया के चलते अश्वनी कुंड से जलापूर्ति रोक दी गई।


इस कुंड के पानी पर एक तिहाई शिमला की आबादी निर्भर है। इस कुंड से 1 करोड़ लीटर पानी हर दिन मिल जाता था। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गुरुवार को एक बैठक के बाद अधिकारियों से इस कुंड से जलापूर्ति फिर से शुरू कराने को कहा है। इसके पहले पानी को संक्रमण रहित करने को कहा है। शिमला में हर दिन 4.2 से 4.5 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है। यहां एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति की जाती है। शिमला में पीक सीजन में हर सप्ताहांत में 20 से 30 हजार पर्यटक पहुंचते हैं।

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