पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का निधन, दिल्ली में एम्स में अंतिम सांस

Edited By Rajneesh Himalian, Updated: 11 May, 2022 03:59 AM

pandit sukh ram passed away breathed his last at aiims in delhi

राजनीति के चाणक्य व संचार क्रांति के मसीहा 95 वर्षीय पंडित सुखराम का निधन का निधन हो गया है।

मंडी (रजनीश हिमालयन) : राजनीति के चाणक्य व संचार क्रांति के मसीहा 95 वर्षीय पंडित सुखराम का मंगलवार रात को निधन हो गया है। पंडित सुखराम ने दिल्ली में स्थित एम्म में अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी उनके पोते आश्रय शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर मंगलवार आधी रात को शेयर की है। पंडित सुखराम के निधन से मंडी ही नहीं पूरे प्रदेश भर में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
बता दें कि 5 मई को पंडित सुखराम को मनाली में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। इसके बाद उन्हें मनाली से कुल्लू और कुल्लू के बाद क्षेत्रीय अस्पताल मंडी लाया गया था। क्षेत्रीय अस्पताल मंडी में उनकी तबीयत में थाेड़ा सुधार होने के बाद 7 मई की सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम को मंडी शहर के कांगणी हैलीपैड से एयरलिफ्ट किया गया था। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकारी हैलीकॉप्टर उपलब्ध करवाया था। एम्स दिल्ली पहुंचने के बाद पंडित सुखराम को आईसीयू में डाक्टरों की निगरानी में उपचार शुरू हुआ था। इसके बाद 9 मई को भी पंडित सुखराम को दिल का दौरा पड़ा था। उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। डाक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था। अब पोते आश्रय ने दादा के निधन की सूचना फेसबुक पेज पर अपना बचपन का फोटो शेयर करने के साथ दी है।
सुखराम ने 1998 में बनाई थी हिविकां
1998 के हिमाचल विधानसभा चुनाव पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी (हिविकां) बनाई थी। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस किसी को बहुमत नहीं मिला, जबकि हिविकां ने उस वक्त के चुनाव में 4 सीटें जीती थीं। पंडित सुखराम ने अपने 4 विधायकों के साथ भाजपा को समर्थन दिया था। इस समर्थन से भाजपा की सरकार बनी। बाद में जून में लाहौल-स्पीति की सीट पर जब चुनाव हुए तो हिमाचल विकास कांग्रेस ने यह सीट भी जीती। तब इस सीट से जीते रामलाल मारकंडा वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार में मंत्री हैं।
1991 में केंद्र सरकार में बने थे मंत्री
1991 में जब दिल्ली में नरसिम्हा राव सरकार थी तो उस सरकार में पंडित सुखराम दूरसंचार मंत्री बने थे। 1996 में संचार घोटाले में नाम आने के कारण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इससे पहले 1985 से 1989 के बीच स्वर्गीय राजीव गांधी की सरकार में भी पंडित सुखराम मंत्री रहे थे।

 

 

 

 

 

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