Watch Pics: यहां 56 साल बाद सागर से बाहर निकलेंगे कई ऐतिहासिक देवता

Edited By Updated: 08 Dec, 2016 01:40 PM

gobind sagar lake underwater historic temple bhakra dam project

देश की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी भाखड़ा बांध परियोजना से साल 1960 से....

बिलासपुर: देश की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी भाखड़ा बांध परियोजना से साल 1960 से गोबिंदसागर झील में जलमग्न हुए एक दर्जन से ज्यादा ऐतिहासिक मंदिर (देवता) जल्द बाहर निकलेंगे। बताया जा रहा है कि बिलासपुर के दनोह स्थित श्री काला बाबा मंदिर के पास इन्हें शिफ्ट किया जाएगा। दरअसल दिल्ली से आई पुरातत्व विभाग की टीम ने जमीन तय कर दी है। भाखड़ा बांध से बनी गोबिंदसागर झील में बिलासपुर के सांडू मैदान में 7वीं, 9वीं और 18वीं शताब्दी में बने करीब 28 मंदिर जलमग्न हो गए थे। पिछले 56 सालों से इन्हें शिफ्ट करने की योजना फाइलों में ही दफन हो गई थी। वहीं नीति आयोग की टीम भी यहां निरीक्षण करना चाहती है। जल्द ही तिथि तय होने के बाद उन्हें बुलाया जाएगा। 


इस मंदिर में जल चढ़ाते ही होती थी बारिश 
जलमग्न मंदिरों के दर्शन साल में एक बार गर्मियों के दौरान ही होते हैं। मान्यता है कि जलमग्न मंदिरों में करीब एक हजार वर्ष पुराने भगवान शिव के रंगनाथ मंदिर में डाली जलधारा अगर सतलुज नदी में मिलती है तो बारिश शुरू हो जाती है। रंगनाथ मंदिर, षड् मुखेश्वर, रघुनाथ मंदिर, खनेश्वर, सीता राम मंदिर, नरदेश्वर मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर, हनुमान मंदिर, गोपाल मंदिर सहित करीब एक दर्जन से ज्यादा मंदिर शिफ्ट होंगे। ये मंदिर एक हजार साल पुरानी शिल्पकला के अद्भुत नमूने हैं। 


इन मंदिरों को शिफ्ट करने का प्रोजेक्ट पुरातत्व विभाग के हाथ में 
गोबिंदसागर से मंदिरों को शिफ्ट करने का पूरा प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग की देख रेख में चल रहा है। जिला प्रशासन ने इसके लिए जमीन दे दी है। गोबिंदसागर झील से मंदिरों को हाइड्रोलिक मशीनों की मदद से उठा कर स्थानांतरित किया जाएगा। इस संबंध में नीति आयोग ने जिला प्रशासन के साथ पत्राचार भी किया है। 

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