बहुचर्चित हत्याकांड: 4 साल से इंसाफ के लिए तड़प रहा मासूम 'युग' का परिवार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Nov, 2017 03:03 PM

from 4 years justice for yearning for innocent yug of family

याद है साल 2016 का वो बहुचर्चित मासूम युग हत्याकांड, जिसे देखकर हर मां-बाप का दिल कांप उठा था। अब साल 2017 खत्म होने को है लेकिन अब तक उस मासूम युग को इंसाफ दिलाने के लिए उसका परिवार तड़प रहा है। राजधानी शिमला के इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले में...

शिमला (राजीव): याद है साल 2016 का वो बहुचर्चित मासूम युग हत्याकांड, जिसे देखकर हर मां-बाप का दिल कांप उठा था। अब साल 2017 खत्म होने को है लेकिन अब तक उस मासूम युग को इंसाफ दिलाने के लिए उसका परिवार तड़प रहा है। राजधानी शिमला के इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय में सोमवार को सुनवाई हुई। इस मामले के आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। जानकारी के मुताबिक आरोपियों की ओर से वकील पेश न होने के कारण मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर तक टल गई है। सूत्रों के अनुसार युग मामले को लड़ने को लेकर भी शिमला बार एसोसिएशन का विरोध बचाव पक्ष वकीलों पर भारी पड़ता दिख रहा है। दरअसल यह केस जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत में चल रहा है। मामले में पिछली सुनवाई 17 नवंबर से शुरू हुई थी और पहले दिन चार गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए गए थे। अभी तक 111 गवाह कोर्ट में पेश हो चुके हैं और 27 नवंबर को कुछ और गवाह पेश होने बाकी हैं। 


ऐसे दिया वारदात को अंजाम
14 जून 2014 को युग घर से बाहर खेल रहा था। वहीं नजदीक में तेजिंद्र पाल सिंह का गोदाम है। यहां आरोपी चंद्र शर्मा और तेजिंद्र बैठे हुए थे। उस वक्त शाम के करीब चार बज रहे थे। हल्की बारिश हो रही थी। दोनों के बीच युग के अपहरण की योजना को अंजाम देने की साजिश चल रही थी। इस दौरान विक्रांत बख्शी को भी कॉल कर गोदाम में ही बुला लिया था। इसी बीच बारिश तेज हुई और युग बारिश से बचने के लिए एक छत के नीचे खड़ा हो गया। वहां से चंद्र शर्मा ने युग को आवाज देकर अपने पास बुलाया। युग चंद्र को अच्छे से पहचानता था। युग को गोदाम में ले जाया गया वहां पर उसे चॉकलेट दे दी गई। चॉकलेट के बाद उसे बहलाने के लिए वीडियो गेम दे दी। वीडियो गेम खेलने में युग व्यस्त हो गया। बिल्डिंग की चौथी मंजिल के गेट पर आखिरी बार उसे देखा गया। वो कहां गया किसी को कुछ पता नहीं चल पाया। मां-बाप के पैरों तले जमीन खिसक गई। 


फिर शुरू हुआ फिरौती मांगने का सिलसिला
आरोपियों ने मासूम युग का अपहरण करने के बाद उसके व्यवसायी पिता से करोडों रुपए की फिरौती की मांग की गई। इस सजिश को रचने वाला और कोई नहीं बल्कि युग के पिता के करीबी और जान पहचान वाले थे। अपहरण के बाद मासूम को एक घर में सात दिन तक बंद करके छिपाया गया। तो वहीं उस मासूम को तरह-तरह की कई यातनाएं दी गईं। इस दौरान फिरौती के लिए कई बार पत्र लिखे गए। लेकिन जब बात नहीं बनी तो नन्हें युग को तड़फा-तड़फा कर मार दिया गया। मासूम की हत्या कर उसे शिमला में ही पानी के एक बड़े टैंक में फेंक दिया। अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि मासूम को जिंदा ही टैंक में फेंका गया होगा। बच्चे को मारने के बाद भी आरोपी मासूम के पिता से फिरौती की मांग करते रहे।


सीआईडी के पास मामला पहुंचने पर खुली आरोपियों की पोल
मामला सीआईडी के पास पहुंचा तो कड़ियां जुड़ने लगी। चंद्र शर्मा और उसके दो साथियों तेजेंद्र सिंह और विक्रांत बख्शी की पोल खुलने लगी। एक-एक करके सुबूत सामने आने लगे। फिरौती के लिए भेजी चिट्ठी की हैंड राइडिंग का मिलान हुआ। मोबाइल कॉल डिटेल खंगाली गई। लैपटॉप और उनके दूसरे गैजेट्स को जब छाना गया तो नकाब उतर गया और कातिलों का क्रूर चेहरा सामने आ गया। यह बात साबित हो गई कि पड़ोसी ने ही अपने दो साथियों के साथ मिलकर युग के अपहरण की साजिश रची। आरोपियों से सख्ती के साथ पूछताछ के बाद दर्द और दरिंदगी की ऐसी कहानी सामने आई जिसे सुन पाने के लिए मजबूत दिल चाहिए। अपहरण के सात दिन तक युग को एक घर में बंद करके छिपाया गया। इस दौरान फिरौती के लिए कई बार पत्र लिखे गए। जब पकड़े जाने का खतरा महसूस होने लगा तो उसे दर्दनाक मौत दे दी।


आरोपियों ने युग को कई तरह की शारीरिक यातनाएं दी
युग को कत्ल करने से पहले आरोपियों ने उसे कई तरह की शारीरिक यातनाएं दी। 4 साल के मासूम को जबरदस्ती शराब पिलाई और फिर उसे जिंदा ही पानी की टैंकी में मरने के लिए फेंक दिया। पानी से भरे टैंक में होश आने पर युग कहीं टैंक की सीढ़ियां चढ़कर बाहर न आ जाए इसलिए आरोपियों ने उसे रस्सी से एक भारी पत्थर के साथ बांध दिया था। आरोपियों की निशानदेही पर युग का कंकाल कलस्टन में एक पानी की टंकी से बरामद कर लिया गया। वो पत्थर भी मिल गया जिसके साथ युग को बांधा गया था। डीएनए जांच से यह बात साबित हो गई है कि कंकाल युग का ही है। मामला कोर्ट में है लेकिन इस सनसनीखेज केस ने लोगों की झकझोर कर रख दिया। पूरा शिमला सड़क पर उतर आया और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग उठने लगी।


इस कोठी में 8 दिन तक मासूम युग सहता रहा दरिंदगी
रामचंद्राचौक से कुछ ही दूरी पर एक आलीशान कोठी है। इस कोठी में बने कमरों के दरवाजों पर इन दिनों ताले लटके हैं। जिस तरह इस कोठी को देखने के लिए लोग अब जा रहे हैं, काश इसी तरह दो वर्ष पहले भी यहां लोगों की आवाजाही होती। शायद आज शहर का लाडला युग जिंदा होता। मासूम युग गुप्ता को इसी कोठी में अाठ दिन तक दरिंदों ने कैद करके रखा था। पुलिस सीआईडी से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने इस मकान को लगभग 20 हजार रुपए के मासिक किराए पर ले रखा था। यहां मासूम को वह शराब पिलाते थे ताकि युग बेसुध रहे और कोई आवाज कर सके। युग पर आरोपी पूरी नजर रखते थे, कभी भी उसे अकेला नहीं छोड़ा जाता था। हैरानी की बात यह है कि इस कोठी की कुछ ही दूरी पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया का ऑफिस है। इस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इसकी कुछ भी भनक नहीं थी। इस रास्ते पर लोगों की आवाजाही भी काफी कम थी। एेसे में आरोपी जानते थे कि इस कोठी में वह सेफ हैं और यहां से अपनी गतिविधियों को अच्छी तरह से अंजाम दे सकते हैं।


14 जून 2014 को हुआ था अपहरण
रामबाजार के चार वर्षीय युग का अपहरण 14 जून 2014 को हुआ था। अपहरण के सात दिनों के अंदर उसे मार दिया गया और शव भराड़ी स्थित पेयजल टैंक में फेंक दिया था। 22 अगस्त 2016 को मामले में जांच कर रही सीआईडी क्राइम ब्रांच ने भराड़ी स्थित एमसी के पेयजल टैंक के अंदर बाहर से युग की हड्डियां बरामद की। हत्या के आरोपी विक्रांत की निशानदेही पर ये हड्डियां बरामद की। विक्रांत के अलावा मामले में मुख्य आरोपी चंद्र शर्मा और तेजेंद्र पाल आरोपी है। आरोपियों के खिलाफ सुबूत एकत्रित करने के बाद क्राइम ब्रांच ने 25 अक्टूबर 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। 


दो साल बाद सीआईडी ने पकड़े थे आरोपी
युग अपहरण एवं हत्या केस का यह मामला पहले पुलिस के पास था। करीब 9 या 10 महीने के बाद केस जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। सीआईडी ने दो साल बाद 14 जून 2016 को इस मामले में दो आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की। उसके बाद सीआईडी ने एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया। उसने सीआईडी को शव को टैंक में फेंकने की बात बताई। डीआईजी विनोद धवन के मार्गदर्शन में स्पेशल टीम ने केस की गुत्थी सुलझाई। केस में गठित विशेष टीम में डीएसपी धनसुख दत्त, डीएसपी भूपिंद्र बरागटा, एएसआई अनिल कुमार, राजेश कुमार, एसआई सुरेश कुमार शामिल रहे।

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