जलेब में नहीं चलते चौहार के देवता

Edited By Updated: 13 Mar, 2016 11:28 AM

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हिमाचल प्रदेश में जब मंडी रियासत के राजाओं द्वारा शिवरात्रि का आयोजन किया जाता था तब चौहारघाटी के लगभग सभी बड़े ...

मंडी: हिमाचल प्रदेश में जब मंडी रियासत के राजाओं द्वारा शिवरात्रि का आयोजन किया जाता था तब चौहारघाटी के लगभग सभी बड़े देवता जलेब में भाग लेते थे। उस समय जलेब में देवताओं को विशेष महत्व दिया जाता था लेकिन जब से प्रशासन द्वारा मेले का आयोजन किया जा रहा है, तब से चौहारघाटी का एक भी देवता जलेब में शामिल नहीं होता है। जानकारी के अनुसार राजाओं के समय जलेब में चौहारघाटी के देव पशाकोट, देव हुंरग नारायण, देव गलू रा गहरी, देव पेखरा गहरी हस्तपुर, देव त्रेलु गहरी, देव दरुण गहरी, देव बथेरी का गहरी व देव घडौनी नारायण शामिल होते थे। चौहारघाटी के देवताओं का शिवरात्रि महोत्सव में अपना अलग ही स्थान है।

चौहारघाटी के देवता अपनी विशेष रथ शैली के अलावा धूम्रपान निषेध के लिए भी जाने जाते हैं। देव के गुर डागी राम ने कहा कि उपरोक्त सभी देवता राजाओं के समय से शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होते रहे हैं। राजाओं के समय में उपरोक्त देवता जलेब में जाते थे लेकिन प्रशासन की ठीक व्यवस्था न होने के चलते देवताओं ने जलेब से दूरी बनाई है। चौहारघाटी में देव हुंरग नारायण, देव पशाकोट व देव गलू रा गहरी का विशेष स्थान है। इन देवताओं के जलेब में शामिल न होने का कारण जलेब अधूरी-सी लगती है। प्रशासन द्वारा भी अब इन देवताओं को जलेब में शामिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

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