Edited By Updated: 10 Feb, 2016 04:46 PM
'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है।' ऐसा ही जुनून दुनिया के लिए मिसाल बनी इन दो जुड़वा बहनों में है।
कुल्लू: 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है।' ऐसा ही जुनून दुनिया के लिए मिसाल बनी इन दो जुड़वा बहनों में है। आपको बता दें कि महज 21 साल की उम्र में ही इन जुड़वा बहनें बहनें ताशी और नुग्शी मलिक ने माउंट एवरेस्ट फतेह कर लिया। ताशी और नुग्शी साउथ पोल और नॉर्थ पोल पर स्की करने वाली दुनिया की पहली जुड़वां बहनें हैं। ये पहली दक्षिण एशियाई हैं जिन्होंने एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम पूरा करने का खिताब अपने नाम किया है।
बताया जा रहा है कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली हरियाणा की इन बेटियों पर इन दिनों कुल्लू में महिंद्रा कंपनी डॉक्यूमेंट्री बना रही है। कुल्लू में ताशी और नुग्शी ने बताया कि 12वीं की पढ़ाई पूरी करने बाद दोनों ने उत्तराखंड में पर्वतारोहण संस्थान में पहुंची। यहीं पर दोनों ने एवरेस्ट को जीतने का सपना देखा। बेसिक कोर्स के बाद दोनों ने एडवांस कोर्स किया। हैरानी की बात यह है कि इन दोनों ने गंगोत्री शृंखला के 19 हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर चढ़ कर खुद को परखा। इसके बाद कड़ी मेहनत कर एवरेस्ट पर चढ़ाई शुरू की और 19 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट फतेह कर लिया।
दोनों को इसमें करीब डेढ़ महीना लगा। इस रिकॉर्ड को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की ओर से 2015-16 में स्वीकृति मिली। ताशी एवं नुग्शी ने बताया कि उन्हें न्यूजीलैंड में अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। आपको बता दें कि ‘ताशी-नुग्शी’ अब लड़कियों को पहाड़ों पर चढ़ने के लिए तैयार करेंगी। इसके लिए दोनों ने देहरादून में ‘ताशी-नुग्शी’ नाम से एक संस्था बनाई है। यह संस्था 6 महीने में काम करना शुरू कर देगी। इसके साथ ही ताशी और नुग्शी ने बताया कि शुरू में जब उनकी मां अंजू मलिक को उनके सपने के बारे में पता चला तो वे घबरा गईं। उन्होंने बताया कि मम्मी ने तो यहां तक कह दिया कि- पहाड़ पर चढ़ीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी। पिता कर्नल वीरेंद्र सिंह मलिक भी घबरा गए थे। हालांकि, बाद में दोनों का पूरा सहयोग मिला।
देहरादून में रहता है अब ताशी-नुग्शी का परिवार
ताशी और नुग्शी हरियाणा के गांव अनवाली, जिला सोनीपत हरियाणा से हैं। पिता की रिटायरमेंट के बाद अब पूरा परिवार उत्तराखंड के जौहर कुतालवानी देहरादून में रहता है।