Edited By Vijay, Updated: 05 Jun, 2019 05:40 PM
5 से 10 जून तक चलने वाले प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर प्रदेश स्तरीय 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में किया। इस मौके पर कृषि मंत्री राम लाल मारकंडा...
पालमपुर (संजीव/मुनीष): 5 से 10 जून तक चलने वाले प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर प्रदेश स्तरीय 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में किया। इस मौके पर कृषि मंत्री राम लाल मारकंडा भी मौजूद रहे। शिविर में प्रदेश के 6 जिलों से 850 से अधिक किसान तथा कृषि, बागवानी व आतमा परियोजना से 200 से ज्यादा अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस मौके पर जीरो बजट नैचुरल खेती के एग्जिक्यूटिव डायरैक्टर डॉ. राजेश्वर चंदेल भी मौजूद रहे।
प्राकृतिक खेती को अपनाने से शून्य हो जाती है उत्पादन लागत
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि राज्य में पिछले 3 वर्ष पूर्व प्राकृतिक खेती को लेकर जो चर्चा आरम्भ हुई थी और जिसे मैंने अभियान के रूप में प्रदेश में आरम्भ किया था आज वह कृषि पद्धति फलीभूत होते नजर आ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि सरकार ने इस कार्यक्रम में पूरी रुचि लेते हुए इसे मिशन के रूप में लिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों राज्य शीघ्र ही प्राकृतिक कृषि प्रदेश बनकर उभरेगा और दूसरे राज्यों के लिए भी एक आदर्श स्थापित करेगा। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारणों में 40 प्रतिशत वर्तमान कृषि पद्धति और कृषि उपकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जिससे फसल उत्पादन में किसी प्रकार की कमी नहीं आती बल्कि फसल की उत्पादन लागत लगभग शून्य हो जाती है और किसानों को उत्पादों के मूल्य भी अन्य उत्पादों से अधिक मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती भाग्य बदलने वाली और जीवन मे खुशहाली लाने वाली खेती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय को दोगुना किया जा सकता है।
2022 तक प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने का लक्ष्य होगा पूरा
इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले साल कैंपों के बाद जीरो बजट नैचुरल खेती पर बड़े स्तर पर काम शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि 500 किसानों को जोडऩे का लक्ष्य था जबकि 2663 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में 18 छात्रों ने पीएच.डी. की है व 13 छात्रों ने इस पर एम.एससी. की है और बी.एससी. अंतिम वर्ष के छात्रों ने गांव-गांव में जाकर प्राकृतिक खेती के बारे में लोगों को प्रशिक्षण दिया है तो वहीं कृषि अधिकारियों ने भी इस इस कार्य को बखूबी निभाया है। उन्होंने कहा कि 2022 तक 9.61 लाख परिवारों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसे निश्चित तौर पर पूरा किया जाएगा।