पठानकोट-मंडी का कार्य नूरपुर में मुआवजा राशि के विरोध में अटका

Edited By prashant sharma, Updated: 06 Feb, 2021 11:32 AM

work of pathankot mandi stuck in nurpur against the compensation amount

प्रदेश की बहुप्रतीक्षित परियोजना पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क मार्ग का कार्य नूरपुर में मुआवजा राशि में प्रभावितों के विरोध के कारण अटका पड़ा है जबकि ज्वाली तहसील के अन्तर्गत भेडख़ड्ड से सिंहुणी तक के 10 किलोमीटर सड़क मार्ग

नूरपुर (रूशांत) : प्रदेश की बहुप्रतीक्षित परियोजना पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क मार्ग का कार्य नूरपुर में मुआवजा राशि में प्रभावितों के विरोध के कारण अटका पड़ा है जबकि ज्वाली तहसील के अन्तर्गत भेडख़ड्ड से सिंहुणी तक के 10 किलोमीटर सड़क मार्ग के लिए भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर मुआवजा राशि प्रभावितों के खाते में डालने की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। एनएचएआई के अधीन पठानकोट-मंडी परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कर्नल अनिल सेन ने पुष्टि करते हुए बताया कि ज्वाली क्षेत्र के तहत 9 गांवों में प्रभावितों को दी जाने वाली मुआवजा राशि की प्रक्रिया पूरी कर 5 गांवों के प्रभावितों के खातों में राशि का भुगतान विभाग द्वारा आने वाले कुछ दिनों में किया जाएगा जबकि शेष 4 गांवों के मुआवजा राशि की अप्रूवल शिमला भेजी गई है।

उन्होंने कहा कि ज्वाली क्षेत्र के लिए 520 करोड़ का टैंडर लगाया गया है जिसके तहत 10 किलोमीटर क्षेत्र में 2 टनल तथा कोटला में एक बाईपास बनेगा। प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अनुसार नूरपुर व ज्वाली के पहले भाग का कंडवाल से लेकर सिंहुणी तक का कार्य होना है। उपमंडल में फोरलेन सड़क मार्ग के निर्माण कार्य को लेकर प्रक्रिया जारी है और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसी वितीय वर्ष में इसके पहले भाग के टैंडर लगाने व इसका निर्माण कार्य शुरु करवाने की कसरत शुरु कर दी है। केंद्र से लगभग 200 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके है जिससे प्रभावित लोगों जमीनों व अन्य स्ट्रक्चर आदि के मुआवजे दिए जाएंगे। इस फोरलेन सड़क मार्ग के तहत जसूर में ओवरहैड ब्रिज (फ्लाईओवर) बनेगा व बौड़ से लेकर खुशीनगर तक बाईपास बनेगा। 

मुआवजा राशि प्रभावितों के साथ भद्दा मजाक

फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दरबारी सिंह नव समिति के पदाधिकारियों ने सरकार द्वारा नूरपुर क्षेत्र में प्रस्तावित फोरलेन सड़क निर्माण 154 के प्रथम चरण  तक के विस्तारीकरण हेतु लेट लतीफी पर रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आज तक 3 वर्ष के कार्यकाल के दौरान नूरपुर में भू-अधिग्रहण अधिकारी द्वारा पारदर्शिता के आधार पर मुआवजा राशि के भुगतान हेतु निर्धारण की दर को गंभीरता से नहीं लिया। लाखों रुपए मरले की कीमत मात्र 7 हजार मरला आंकलन करना प्रभावितों के साथ भद्दा मजाक है। उन्होंने कहा कि आगामी रणनीति हेतु अपने हक पाने के लिए प्रभावितों को जागरूक करके तमाम 3781 प्रभावित परिवार एकमत होकर मुख्यमंत्री से भी अपनी समस्याओं से अवगत करवाने का शिमला में प्रयास करेंगे। सरकार की मुआवजा के प्रति ढुलमुल नीति का कड़ा विरोध किया। 

मुआवजा राशि का मसला केंद्र से उठाएंगे

हिमाचल मानवाधिकार लोक बॉडी के अध्यक्ष राजेश पठानिया का कहना है कि सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में नूरपुर क्षेत्र के लिए जो सर्कल रेट दिए गए थे वो कुछ हद तक मान्य थे लेकिन 2020 में सरकार द्वारा घोषित सर्कल रेट पिछले रेटों के 70 से 75 फीसदी कम है जिससे प्रभावित रोषित है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने प्रभावितो को उचित मूल्य नहीं दिया तो हिमाचल मानवाधिकार लोक बॉडी के पदाधिकारी जल्द ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलेंगे। इस संदर्भ में जिलाधीश राकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि सन 2018 के तहत सर्कल रेट्स मान्य होंगे।

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