Edited By Punjab Kesari, Updated: 21 Feb, 2018 01:43 AM
मंगलवार को मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा में नलबंदी करवाने के लिए आई महिलाओं को घंटों भूखे पेट रहकर इस आप्रेशन को करवाने के लिए इंतजार करना पड़ा।
चम्बा: मंगलवार को मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा में नलबंदी करवाने के लिए आई महिलाओं को घंटों भूखे पेट रहकर इस आप्रेशन को करवाने के लिए इंतजार करना पड़ा। सुबह से भूखे पेट रहकर खुद को इस नलबंदी आप्रेशन के लिए तैयार करने वाली महिलाओं के लिए यह राष्ट्रीय अभियान उस समय जी का जंजाल बना जब अस्पताल के आपातकालीन कक्ष ने इन महिलाओं की फिटनैस प्रक्रिया को अंजाम देने से मना कर दिया। अपने घरों से आई इन महिलाओं को जब कुछ नहीं सूझा तो वे आप्रेशन वाली वर्दी पहने ही अस्पताल के एम.एस. डा. विनोद शर्मा के कक्ष में पहुंच गईं।
अधिकारी ने फिटनैस जांच से किया मना
इन महिलाओं का कहना था कि वे पिछले करीब 2-3 घंटे से अपने आप्रेशन की प्रक्रिया के शुरू होने का इंतजार कर रही थीं लेकिन अभी तक इस प्रक्रिया का पहला चरण भी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें जहां फिटनैस जांच के लिए भेजा गया वहां तैनात अधिकारी ने इस प्रक्रिया को अंजाम देने से मना कर दिया, ऐसे में उन्हें अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक आने-जाने में ही समय गंवाना पड़ रहा है। इस पर एम.एस. ने इस नलबंदी शिविर को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाते हुए अन्य चिकित्सक की ड्यूटी लगाई जिसके बाद दोपहर करीब 2 बजे यह प्रक्रिया शुरू हुई।
नलबंदी करवाने के लिए खाली पेट रहना जरूरी
जानकारी के अनुसार नलबंदी आप्रेशन करवाने वाली महिला का पूरी तरह से खाली पेट रहना जरूरी है। इसी के चलते मंगलवार को चम्बा अस्पताल में नलबंदी करवाने के लिए आई करीब एक दर्जन महिलाओं को समय पर सेवा न मिलने व इस आप्रेशन प्रक्रिया के दोपहर 2 बजे के बाद शुरू होने के चलते भूखे पेट रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस स्थिति में महिलाओं को भारी मानसिक परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
2 महिलाओं ने घर जाने में समझी बेहतरी
नलबंदी करवाने के लिए घंटों इंतजार करने के बाद इस स्थिति से परेशान होकर 2 महिलाओं ने बिना नलबंदी करवाए ही अपने घर की ओर रुख करने में बेहतरी समझी। ऐसे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के परिवार नियोजन कार्यक्रम को धक्का लगा है।
देरी होने से बिगड़ा 2-3 महिलाओं का स्वास्थ्य
जानकारी के अनुसार इस आप्रेशन प्रक्रिया के शुरू होने में हुई देरी और इस दौरान भूखे पेट रह कर महिलाओं को जिस मानसिक परेशानी की स्थिति से गुजरना पड़ा उसकी वजह से 2-3 महिलाओं की तबीयत खराब हो गई। ऐसे में उक्त महिलाओं की मंगलवार को नसबंदी नहीं हो पाई।
रोस्टर नहीं बनने से पेश आ रही परेशानी
पुख्ता जानकारी के अनुसार अस्पताल में नलबंदी व नसबंदी को लेकर अब पूर्व की भांति मासिक रोस्टर नहीं बनाया जाता है, ऐसे में कभी किसी चिकित्सक के पास अनुरोध करना पड़ता है तो कभी किसी के पास। वर्तमान में अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में तैनात चिकित्सक को इस शिविर के लिए आने वालों की फिटनैस जांचने का जिम्मा सौंपा गया है लेकिन आपातकालीन कक्ष में तैनात चिकित्सकों का कहना होता है कि वे आपातकालीन सेवाओं को प्राथमिकता दें या फिर इस कार्य को प्राथमिकता दें, ऐसे में रोस्टर बनने से जहां चिकित्सक की ड्यूटी लगने पर वह इस कार्य को अंजाम देने में आनाकानी नहीं कर सकेगा तो साथ ही लोगों को भी इस बारे मालूमात रहेगी कि आज किस चिकित्सक की इस कार्य के लिए ड्यूटी लगी हुई है।