Edited By Ekta, Updated: 09 Sep, 2018 03:25 PM
भारतीय नागरिकों के लिए इन्नर लाइन परमिट की औपचारिकताएं खत्म होने के पश्चात हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग शीत मरुस्थल के लिए पर्यटन वरदान साबित हुआ है। समय बदलने के साथ ही पर्यटन विकास की तेजी ने शीतमरुस्थल को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर नई...
उदयपुर (जगमोहन): भारतीय नागरिकों के लिए इन्नर लाइन परमिट की औपचारिकताएं खत्म होने के पश्चात हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग शीतमरुस्थल के लिए पर्यटन वरदान साबित हुआ है। समय बदलने के साथ ही पर्यटन विकास की तेजी ने शीतमरुस्थल को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाई है। परिणाम सामने है कि राजमार्ग से सालभर हजारों पर्यटक घाटी में प्रवेश कर रहे हैं। करीब एक साल से सर्दियों की बर्फबारी और भयंकर ठंड स्पीति में प्रवेश करने वाले पर्यटकों के कदम नहीं रोक पा रही है।
बर्फबारी को देखने की नई उमंग उन्हें स्पीति की ओर खींच रही है। प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि सर्दियों के दौरान जब पूरा शीतमरुस्थल बर्फ की आगोश में होगा तब भी पर्यटकों के कदम नहीं रुकेंगे। बीते साल भी ऐसा ही हुआ है। बर्फबारी के दौरान पारा जब शून्य से 25 डिग्री नीचे चला गया था तब भी सामरिक महत्व का उक्त सड़क मार्ग गाडिय़ों के लिए खुला था। प्रमुख लाइफ लाइन में वाहनों की आवाजाही बहाल होने के कारण बीती सर्दियों में हजारों पर्यटकों ने स्पीति में दस्तक दी है, जिससे पर्यटन के बलबूते स्वरोजगार का भविष्य देख रहे स्थानीय युवाओं को नई ऊर्जा मिली है।
बर्फबारी में भी ज्यादा देर बंद नहीं रहेगी सड़क
हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से हजारों पर्यटक खून जमा देने वाली ठंड में स्पीति पहुंच रहे हैं, जिससे पर्यटन व्यवसाय से स्वरोजगार का रास्ता अपना रहे युवाओं की आर्थिकी काफी सशक्त रूप में सामने आ रही है। बताया गया है कि पुराना हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय सड़क मार्ग पहले काफी जोखिमपूर्ण व तंग भी था, जिसे बी.आर.ओ. ने अब लगभग डबललेन करते हुए सड़क मार्ग को इस तरह से चकाचक किया है कि सामरिक महत्व का यह सड़क मार्ग बर्फबारी में भी अधिक देर तक बंद नहीं रह सकेगा।
सर्दियों में बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं जा सकते थे काजा
जानकारी के अनुसार 90 के दशक तक किन्नौर से लेकर स्पीति तक के बॉर्डर एरिया में बिना प्रशासनिक अनुमति के प्रवेश करना वर्जित ही नहीं बल्कि अपराध की श्रेणी में रखा गया था। हिमाचल के लोग भी बिना इन्नर लाइन परमिट के काजा नहीं आ सकते थे। उसके बाद इन प्रशासनिक अनुमति की औपचारिकताओं को सिरे से निरस्त किए जाने पर शीतमरुस्थल का भाग्योदय शुरू हुआ है। अब सर्दियों की भारी बर्फबारी में शीतमरुस्थल स्पीति आ रहे पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।