क्या Anurag बनेंगे Minister, Nadda होंगे BJP अध्यक्ष, यहां जानें हर समीकरण

Edited By Ekta, Updated: 27 May, 2019 04:22 PM

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दिल्ली में नरेंद्र दामोदर दास मोदी की दूसरी सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारियां चल रही हैं। इसके साथ ही अब उनके मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कौन मंत्री बनेगा, कौन चूक जाएगा, किसकी लाटरी लगेगी और किसे मायूसी मिलेगी, सब जगह इसकी चर्चा है।...

इलेक्शन डेस्क (पंजाब केसरी): दिल्ली में नरेंद्र दामोदर दास मोदी की दूसरी सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारियां चल रही हैं। इसके साथ ही अब उनके मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कौन मंत्री बनेगा, कौन चूक जाएगा, किसकी लाटरी लगेगी और किसे मायूसी मिलेगी, सब जगह इसकी चर्चा है। ऐसे में हिमाचल में भी अब यह चर्चा गरम है कि इस बार कौन-कौन हिमाचल से मंत्री होगा। पिछली बार हिमाचल से जगत प्रकाश नड्डा मोदी मंत्रिमंडल में थे। उनके पास स्वास्थ्य विभाग था। इस बार सभी सांसद तीन लाख से अधिक की लीड लेकर जीते हैं। बिलासपुर की रैली में खुद अमित शाह अनुराग ठाकुर को बड़ा नेता बनाने की बात कह गए थे। तो क्या इस बार सिर्फ अनुराग मंत्री बनेंगे और नड्डा नहीं ? या फिर नड्डा और अनुराग दोनों कैबिनेट में शामिल किए जाएंगे। यह तमाम सवाल आपके जेहन को मथ रहे होंगे।
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आज इन तमाम बातों की विस्तार से चर्चा करेंगे। दरअसल हिमाचल छोटा राज्य जरूर है लेकिन देश की सियासत में इसकी हिस्सेदारी शुरू से ही अहम रही है। 1952 में चुनकर आई पहली ही सरकार में मंडी की सांसद राज कुमारी अमृत कौर नेहरू कैबिनेट का हिस्सा बनी थीं। उसके बाद इंदिरा गांधी की कैबिनेट में वीरभद्र सिंह दो बार मंत्री रहे. फिर नरसिम्हा राव मंत्रिमंडल में सुखराम राज्य मंत्री रहे। वाजपेयी मंत्रिमंडल में शांता कुमार को मंत्री बना गया था। उसके बाद मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में तो एक साथ दो-दो नेताओं को जगह दी गई। आनंद शर्मा और वीरभद्र सिंह यूपीए 2 की मनमोहन कैबिनेट में थे। दोनों के पास विदेश, प्रसारण, कॉमर्स और स्टील जैसे अहम मंत्रालय थे। वीरभद्र सिंह हिमाचल लौटे तो चंद्रेश कुमारी मंत्रिमंडल में ली गईं। मनमोहन सिंह के बाद जब मोदी सरकार आई तो जगत प्रकाश नड्डा को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया। इस तरह से कांग्रेस और बीजेपी अधिकांश सरकारों में हिमाचल के नेताओं की शमूलियत रही।

ऐसे में अगर एकबार फिर से हिमाचल की उम्मीदें जवान हैं तो इसमें हर्ज क्या है जनाब। जगत प्रकाश नड्डा ने तेलंगाना और यू पी में बीजेपी को सम्भाला है। स्वास्थ्य मंत्रालय में भी उनका काम काज बेहतर रहा है। तो उनकी दावेदारी तो है ही। लेकिन इधर अनुराग ठाकुर ने भी जीत का चौका लगाया है। करीब चार लाख वोट से जीते हैं। जाहिर है अमित शाह को अब अपना वादा निभाना होगा जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुराग को बड़ा नेता बनाऊंगा। तो हो सकता है कि इस बार मोदी मंत्रिमंडल में हिमाचल के दो हीरे चमकते नज़र आएं। वैसे एक चर्चा यह भी है कि नड्डा अमित शाह की जगह बीजेपी अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। दिल्ली में मौजूद सत्ता के स्तम्भों पर चिपकी छिपकलियां बता रही हैं कि अमित शाह मंत्री बनेंगे और ऐसे में पार्टी का जिम्मा उनके खास दोस्त नड्डा को दिया जा सकता है। यह भी हिमाचल के लिए बड़ी बात होगी।

ऐसे में अनुराग ठाकुर पहले ही दौर में मंत्री बनाये जा सकते हैं। हां यदि पार्टी में नड्डा की ताजपोशी अगर थोड़ी देर से होनी होगी तो वे मंत्री बनेंगे और उस स्थिति में अनुराग को इंतज़ार करना पड़ सकता है, जो बहुत लम्बा इंतज़ार शायद नहीं होगा। लेकिन मंत्रिमंडल में हिमाचल की हिस्सेदारी की चर्चा यहीं ख़त्म नहीं हो जाती। क्लाईमैक्स अभी बाकी है जनाब और वो है किशन कपूर। जी हां पौने पांच लाख मतों के अंतर से जीतकर आए किशन कपूर भी रेस में हैं। जीत के अंतर् से इतर वे जनजातीय समुदाय से हैं। यही नहीं पीएम के साथ उनका घी-खिचड़ी का रिश्ता है। 1993 में जब हिमाचल में बीजेपी महज आठ सीटों पर सिमट गई थी और मोदी बीजेपी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे थे तब बीजेपी का दफ्तर दीप कमल भी किशन कपूर के सरकारी विधायक निवास में सिमट आया था। संगठन मंत्री के नाते मोदी वहीं रहते थे और नड्डा, कपूर संग।

उन्होंने वहां खूब खिचड़ी पकाई भी और खाई भी। नड्डा को उस खिचड़ी का ईनाम पिछली कैबिनेट में मिल गया था। तो क्या किशन कपूर की खिचड़ी भी रंग लाएगी... ?? इस एंगल को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ये सब समीकरण थे जिनकी चर्चा हमने आपसे की। बहरहाल सौ बातों की एक बात यह है कि। नेताओं के मन कुछ और है और मोदी के मन कुछ और। मोदी किसे हिमाचल से आगे बढ़ाना चाहते हैं इसका पता शपथ ग्रहण के समय ही चलेगा और हां एक बात और मोदी मंत्रिमंडल में हिमाचल की सीट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पसंद ना पसंद पर भी निर्भर करेगी। क्योंकि प्रदेश की समृद्धि के लिए तालमेल जरूरी है। इससे पहले सुखराम-वीरभद्र, आनंद शर्मा-वीरभद्र, धूमल-शांता इनकी खींचातानी सबने देखी है। उसे दूर रखना भी जरूरी है। फिलहाल इतना ही अगली बार जब मुलाकात होगी तो चर्चा हिमाचल के मंत्रिमंडल की करेंगे। वहां पर भी दो सीटें खाली हैं। किसे मिलेंगे उसकी भी थाह लेंगे। बने रहिए पंजाब केसरी टीवी के साथ।

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