कोरोना से मृत पति का शव लेकर पटियाला से अकेले गांव पहुंची अनु, खुद निभाईं अंतिम संस्कार से लेकर क्रिया की रस्में

Edited By Vijay, Updated: 07 May, 2021 11:55 PM

wife funeral the husband

कोरोना संक्रमण फैलने का डर लोगों में इतना ज्यादा है कि वे किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो रहे हैं। जिला की बल्ह तहसील के केंहचड़ी गांव में कुछ ऐसा वाकया सामने आया, जहां एक 31 वर्षीय युवक की कोरोना से मौत हो गई तो न रिश्तेदार आए और न ही...

गोहर (ख्याली राम): कोरोना संक्रमण फैलने का डर लोगों में इतना ज्यादा है कि वे किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो रहे हैं। जिला की बल्ह तहसील के केंहचड़ी गांव में कुछ ऐसा वाकया सामने आया, जहां एक 31 वर्षीय युवक की कोरोना से मौत हो गई तो न रिश्तेदार आए और न ही पड़ोसी क्योंकि यह गांव पहले से कंटेनमैंट जोन है। युवक की अर्थी को कंधा देने के लिए भी 4 लोग नसीब नहीं हुए, जिसके बाद पत्नी ने किसी तरह कुछ रिश्तेदारों की मदद से शव को श्मशानघाट पहुंचाया और शादी का लाल जोड़ा पहनकर खुद ही पति की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार पूरा किया। शुक्रवार को युवक की तेहरवीं की रस्में पत्नी ने गांव के खुले स्थान पर पीपल के पेड़ की नीचे खुद ही निभाईं। हालांकि इस दौरान कोविड नियमों का उसने बखूबी पालन किया और सामाजिक दूरी कायम रखी। बता दें कि गांव के 31 वर्षीय युवक अजीत सेन की पंजाब के पटियाला अस्पताल में कोरोना संक्रमण से मौत हो गई, लेकिन पति की मौत पर 24 वर्षीय इंजीनियर अनु सेन का हौसला नहीं टूटा। अजीत सेन चंडीगढ़ की निजी कंपनी में मैनेजर की नौकरी करता था।

25 अप्रैल को हुई थी पति की मौत

24 अप्रैल को होम आइसोलेशन में ही अजीत की तबीयत बिगड़ गई और ऑक्सीजन का स्तर गिर गया। पत्नी अनु सेन ने उसे चंडीगढ़ के ठगोली अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां तबीयत में सुधार न होने पर उसे मोहाली रैफर किया गया, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने अजीत सेन को पटियाला के एक बड़े अस्पताल में रैफर कर दिया, जहां 25 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। इसके बाद अनु पति का शव लेकर पटियाला से गांव आई लेकिन यहां पर उसने रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोगों के रवैये का दंश झेला। जहां शव यात्रा में शामिल होने के लिए गांव से लेकर प्रशासन का एक भी आदमी नहीं आया। शव जलाने के लिए कुछ ग्रामीणों ने जरूर मदद की लेकिन वे भी लकडिय़ां घाट पर छोड़ कर शव आने के बाद गायब हो गए।

बेटे के साथ अमानवीय व्यवहार से सेवानिवृत्त नायब सूबेदार व्यथित

अजीत सेन के पिता प्रकाश सेन ने बताया कि बेटे के अंतिम संस्कार के लिए पंचायत और प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की। वर्षों तक देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सेवानिवृत्त नायब सूबेदार के साथ यह अमानवीय व्यवहार उन्हें अंदर से कटोच रहा है। उन्होंने बताया कि बेटे की मौत की सूचना प्रशासन को दी गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से शव को जलाने के लिए लोग नहीं भेजे गए। केवल 4 पीपीई किट भेजी गईं लेकिन उनमें भी खामियां थीं। पिता ने इस व्यवहार के लिए गहरा दुख व्यक्त किया है, लेकिन उन लोगों का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने हौसला दिखाकर चिता के लिए लकड़ी मुहैया करवाई।

 

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