कोरोना के एक साल बाद भी प्रदेश में क्यों नहीं है पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं: अभिषेक

Edited By prashant sharma, Updated: 22 Apr, 2021 05:16 PM

why is there not enough health services in state even after one year of corona

विश्व भर में फैली कोरोना महामारी को एक साल पूरा हो चुका है इस पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन अभिषेक राणा ने सरकार के रवैए पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पूछा है कि कोरोना को एक साल होने के बाद भी प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों...

हमीरपुर : विश्व भर में फैली कोरोना महामारी को एक साल पूरा हो चुका है इस पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन अभिषेक राणा ने सरकार के रवैए पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पूछा है कि कोरोना को एक साल होने के बाद भी प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों चरमराई हुई है ? कोरोना के दौरान जनता को इस महामारी से बचाने के लिए ढेर सारा चंदा जनता से इकट्ठा किया गया था उसका कहां इस्तेमाल किया गया? वह पैसा आखिर कहां गया? हिमाचल प्रदेश में ऐसे काफी मामले आ चुके हैं जहां पर कोरोना महामारी के दौरान इकट्ठे हुए पैसे और प्रदेश में जनता के लिए आए उपकरणों इत्यादि के भ्रष्टाचार का खुलासा भी हुआ है जिस की कड़ियां कहीं ना कहीं डबल इंजन की जयराम सरकार से जुड़ती है। 

राणा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कोरोना तीव्र गति से चल रहा है और यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अकाल होने के कारण लोगों को बाहरी राज्यों की ओर रुख करना पड़ रहा है लेकिन समस्याएं यही नहीं थम रही क्योंकि बाहरी राज्यों ने भी ओपीडी बंद कर दी है और मरीजों को कोई देखने वाला नहीं है। बाहरी राज्यों में इलाज के वक्त स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जिससे कि प्रदेश की जनता लावारिशों की तरह दर-दर भटक रही है। प्रदेश की जनता की ओर से विडंबना व्यक्त करते हुए अभिषेक ने कहा कि कोरोना के समय पिछले साल भी सरकार ने कुछ ऐसा ही किया था, क्योंकि इसे रोकना सरकार के बस की बात नहीं थी और समस्त जनता जो कि इलाज के अभाव से पहले ही दुखी थी उनकी तनख्वाह काट ली।

कहीं चंदे के नाम पर सरकार ने कर्मचारियों की 1 दिन की तनख्वाह काटी और कहीं 1 महीने की। कांग्रेस द्वारा डाली गई आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ कि कोरोना महामारी की शुरुआत में ही सरकार ने चंदे के नाम पर लगभग 13 करोड़ रुपये बटोर लिए थे, जिसका कोई भी इस्तेमाल जनता के लिए नहीं हुआ। जनता के पैसे से जयराम सरकार के मंत्री नई-नई लग्जरी कारें खरीद रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर की सैर करते नजर आते हैं लेकिन जनता की पीड़ा और कोरोना के दंश से पीड़ित मासूम लोगों का दुख यह सरकार पूर्णतः अनदेखा कर रही है। करोड़ों रुपए का चंदा इकट्ठा किया गया तथा कोरोना महामारी के नाम पर केंद्र से भी कर्ज लिया गया। देखा जाए तो आज प्रदेश कर्ज में जी रहा है लेकिन जब जनता को ही सुविधाएं मुहैया नहीं हुई तो प्रदेश को क्यों कर्जदार किया गया ? 

हिमाचल प्रदेश की जनता आज भी बाहरी राज्यों पर निर्भर है क्योंकि अपने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई है तो भला जनता फिर से इस राहत कोष में पैसे क्यों दें जबकि जनता को ही स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया नहीं हो रही और सरकार से जनता का भरोसा उठ चुका है। राणा ने तंज कसते हुए कहा कि जनता के लिए जनता के नाम पर इकट्ठा किया गया पैसा जनता को ही नहीं मिला और साथ में मुख्यमंत्री रिलीफ फंड के पैसे का भी दुरुपयोग होने की खबरें आए दिन आती रहती हैं।

कोविड-19 से निपटने में असक्षम डबल इंजन की सरकार के पास आज ऐसा कोई यंत्र या तंत्र नहीं है जिससे वह हिमाचल प्रदेश की जनता को इस महामारी से बचा सके लेकिन कोरोना के नाम पर जनता को गुमराह करके यह सरकार पैसा बटोरने का हुनर भली-भांति जानती है। क्योंकि जब समय था कोरोना कि रोकथाम करने का उस समय यह सरकार बड़ी बड़ी रैलियां और राजनीतिक कार्यक्रम करने में व्यस्त थी। तब इन्हें  जनता और कोरोना का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया। अब जब बात इनके हाथ से निकल गई है तो जनता को फिर से गुमराह कर रहे है। पैसे तो पिछली बार भी इकट्ठे किए गए थे लेकिन वह जनता के काम आना तो दूर सामने भी नहीं आए। सरकार बताए कि इस बार किस आधार पर आप जनता से चंदा मांग रहे हैं जो कि जनता के कभी काम ही नहीं आया। जनता क्यों आप पर भरोसा करे? किस विश्वास के साथ आप जनता से चंदा देने की अपील करते हैं?
 

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