जिसे 6 साल पहले मृत समझ बैठा था परिवार, वो शिमला में यहां मिला जिंदा

Edited By Vijay, Updated: 05 Feb, 2019 07:16 PM

whom family deceived 6 years ago dead he got here alive in shimla

करीब 6 साल पहले वो अपने घर से गायब हो गया था। परिवार के लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया। परिवार के लोगों ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई फिर भी हाथ खाली ही रहे। जब 6 सालों तक कोई खबर नहीं मिली तो परिवार के लोगों की आस भी टूट गई और...

शिमला (राजीव): करीब 6 साल पहले वो अपने घर से गायब हो गया था। परिवार के लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया। परिवार के लोगों ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई फिर भी हाथ खाली ही रहे। जब 6 सालों तक कोई खबर नहीं मिली तो परिवार के लोगों की आस भी टूट गई और उन्हें लगा कि दामोदर उन्हें हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया है लेकिन दमोदार गौड का शिमला के मानसिक पुनर्वास केंद्र में इलाज चल रहा था। वर्ष 2017 में दामोदर को हिमाचल के जिला सिरमौर के नाहन से शिमला भेजा गया। अप्रैल, 2017 से शिमला के मानसिक पुनर्वास केंद्र में दामोदर का इलाज चल रहा है और नवम्बर, 2018 में दामोदर ने इलाज के दौरान महबूबनगर का नाम लिया। दमोदर कैसे हिमाचल पहुंचा ये उसे मालूम नहीं था।
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तेलगु बोलने की वजह से नहीं सुना पाया किसी को आपबीती

दामोदर तेलगु में बात करता रहा। हिन्दी न आने के चलते वो अपनी आपबीती नहीं सुना पाया। डॉ. विकेश जो दामोदर का इलाज कर रहे थे, उन्हे इस बात का अंदाजा हो चुका था कि वो तेलगु बोल रहा है और गूगल पर जा कर महबूबनगर को सर्च किया। उसके बाद डॉक्टर ने तेलंगाना के निजामाबाद में अपने रिशतेदार से संपर्क किया। दामोदर की फोटो को डॉक्टर ने व्हाट्स एप पर शेयर किया और वहां की पुलिस की मदद से एक ही दिन में उसके परिवार को ढूंढ निकाला और आज दामोदर का भतीजा देवेंद्र उसे लेने शिमला पहुंचा है।
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दामोदर के जिंदा होने की खबर सुन खुशी से झूम उठा परिवार

दामोदर के जिंदा होने की खबर सुनते ही उसके परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा। पिछले 2 महीनों से फोन पर दामोदर का परिवार उससे बात कर रहा था और मंगलवार को दामोदर का भतीजा देवेंद्र उसे लेने शिमला पहुंचा है। देवेंद्र ने बताया कि उसके चाचा पिछले 6 सालों से गायब थे और वो मानसिक रूप से कुछ परेशान भी थे। काफी लम्बे समय से कोई खबर नहीं मिली तो लगा कि उनकी मौत हो चुकी है लेकिन अपने चाचा को वापस पाकर वह काफी खुश है और उन्हें वापस गांव ले जाने आया है।
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चिलमिला गांव में दर्जी का काम करता है दामोदर

दामोदर की तीन बहनें और दो भाई भी हैं जबकि  माता-पिता की बहुत पहले मौत हो चुकी है। दामोदर अपने गांव चिलमिला में दर्जी का काम करता था और बाकी भाई-बहन भी खेतीबाड़ी और दर्जी का काम करते हैं। दामोदर को उसके परिवार से मिलाने में महबूबनगर की पूलिस ने भी पूरा सहयोग किया। पुलिस के 2 जवान दामोदर के भतीजे को शिमला तक लेकर आए।
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दमोदर से पहले अन्य राज्यों के 4 लोगों को परिवार से मिलाया

मानसिक पुनर्वास केंद के एम.एस. संजय पाठक ने बताया कि शिमला के मानसिक पुनर्वास केंद्र से इससे पहले भी अन्य राज्यों के 4 लोगों को उनके घर वापस पहुंचाया जा चुका है। दामोदर से पहले बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के लोगों को वापस भेजा जा चुका है। दामोदर के बाद अभी और मरीजों को वापस भेजने की तैयारी की जा रही है। मरीजों से इलाज के दौरान ही जो भी वो जानकारी देते हैं, उन्हें नोट किया जाता है और उनके दिए हुए पते को ट्रेस कर उनके परिवार को ढूंढा जाता है।

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