आखिर कौन समझेगा 2 जिलों का दर्द, पहाड़ में सुराख कर दूरियों को पाटने में सरकार फेल

Edited By Vijay, Updated: 11 Jan, 2020 03:50 PM

who will understand the pain of 2 districts

मंडी और कुल्लू को टनल के माध्यम से दूरियों को मिटाने की कवायद हांफ गई है। सरकार इस ओर में अब प्रयास ही नहीं कर रही है। इसे लेकर लगघाटी के लोगों में आक्रोश भी है। 64 किलोमीटर को दूरी को कम करने के लिए सड़क का विस्तारीकरण भी अब ठंडे बस्ते में पड़ गया...

कुल्लू (दिलीप): मंडी और कुल्लू की टनल के माध्यम से दूरियों को मिटाने की कवायद हांफ गई है। सरकार इस ओर में अब प्रयास ही नहीं कर रही है। इसे लेकर लगघाटी के लोगों में आक्रोश भी है। 64 किलोमीटर की दूरी को कम करने के लिए सड़क का विस्तारीकरण भी अब ठंडे बस्ते में पड़ गया है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने भी इसकी ओर ध्यान नहीं दिया है। सूबे के सबसे पुराने मार्गों में से एक कुल्लू से पठानकोट हाईवे के स्टेट हाईवे कुल्लू-शिल्ह बधाणी सडक पर प्रस्तावित तेलंग-भूभू जोत टनल को हालांकि कैबिनेट की हामी भी भरी गई है लेकिन अंतिम बाधा पार नहीं हो सकी है।
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वर्ष 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1942 में ढालपुर में आयोजित अपनी जनसभा के दौरान इस टनल को बनाने और पठानकोट से लेकर लेह तक सीधी सड़क बनाने की वकालत की थी। ब्रिटिश काल से लेकर 18वीं शताब्दी तक इसी रास्ते से पठानकोट तक डाक जाती रही है।
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भूभू जोत से नीचे लगभग 3 किलोमीटर बनने वाली इस टनल से कुल्लू से जोगेंद्रनगर की दूरी 64 किलोमीटर कम होनी है, साथ ही पर्यटन को भी नए आयाम मिलने थे। सामरिक दृष्टि से भी सेना को लेह तक जाने के लिए एक और वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध हो जाना है। टनल बनने के बाद जम्मू-कश्मीर से आने वाले पर्यटकों व सेना की गाडिय़ों को जोगिंद्रनगर से सीधा कुल्लू आने को वैकल्पिक मार्ग भी मिल जाएगा। इसका सीधा लाभ प्रदेश के 5 जिलों कुल्लू, मंडी, लाहौल-स्पीति, चम्बा और कांगड़ा जिला के लोगों को मिलना है।
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इनमें से मंडी जिला की चौहार घाटी की 14 पंचायतें और कुल्लू जिले की लगघाटी की 10 पंचायतों और कांगड़ा जिला के दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल के लोग सबसे अधिक लाभान्वित होने हैं। पैदल आने के लिए अभी भी इन क्षेत्रों के लोग इसी रास्ते का उपयोग करते हैं। इसके अलावा कुल्लू-मंडी हाईवे पर ट्रैफिक समस्या से भी निजात मिल जाएगी। वहीं प्रदेश सरकार ने लगघाटी में कुल्लूू से कड़ौन तक इस टनल को जोडऩे वाली सडक को चौड़ा करने के लिए 12 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर ली थी लेकिन वो भी आधा-अधूरा काम किया गया।
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लोगों को को झूठा दिलासा गया कि सड़क डबललेन बनेगी लेकिन डबललेन सड़क के कार्य के दौरान लोगों के खेतों और घरों को भारी नुक्सान पहुंचाया। 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी भूभू जोत टनल का कार्य शुरू नहीं हो पाया लेकिन यहां पर पहुंचने के लिए अभी तक सड़क का विस्तार तक नहीं हुआ। भूभू जोत टनल की कुल लंबाई 3207 मीटर है। आंकड़ों की मानें तो इस पर 368 करोड़ रुपए की राशि खर्च होने का अनुमान है। लेकिन जैसे-जैसे काम में देरी होती रहेगी, खर्च का आंकड़ा भी और अधिक बढ़ता रहेगा।
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वहीं विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बैठक के दौरान बताया कि जोगिंद्रनगर से लगघाटी को टनल के माध्यम से जोडऩा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान भी कई बार मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछे गए लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा कि डेढ़ वर्ष पहले वेब कॉस कंपनी द्वारा पीपीआर की प्रोजैक्ट रिपोर्ट भूतल परिवहन विभाग को सौंपी गई थी लेकिन इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। उन्होंने कहा कि कुल्लू-शिलवधानी सड़क को नैशनल हाईवे में डाल दिया है लेकिन वह मेजर डिस्ट्रिक रोड है न कि नैशनल हाईवे। उन्होंने कहा कि कुल्लू से तेलंग तक सड़क को चौड़ा करने के दौरान लोगों का भारी नुक्सान किया गया है और ठेकेदार को भी उसका पैसा दे दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लगघाटी के लोगों को अनदेखा किया जा रहा है।

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