Edited By Vijay, Updated: 28 Jun, 2019 11:07 PM
ओवरलोडिंग पर चालान की सख्ती के चलते पांचवें दिन भी आफत में रहे लोग। आदेशों के विरोधाभास की स्थिति आज भी क्लीयर नहीं हो पाई। कई भरी सीटों में कुछ सवारियों के जाने की बात कही जा रही है तो कहीं एक भी सवारी खड़ी होने पर चालान करने की बातें कही जा रहीं।...
शिमला/सरकाघाट: ओवरलोडिंग पर चालान की सख्ती के चलते पांचवें दिन भी आफत में रहे लोग। आदेशों के विरोधाभास की स्थिति आज भी क्लीयर नहीं हो पाई। कई भरी सीटों में कुछ सवारियों के जाने की बात कही जा रही है तो कहीं एक भी सवारी खड़ी होने पर चालान करने की बातें कही जा रहीं। इसी बीच आज मंडी जिला के सरकाघाट और राजधानी शिमला में चक्का जाम किए गए।
बसों के आगे बैठकर विरोध-प्रदर्शन किया
शुक्रवार को भी सरकाघाट बस अड्डे पर यात्रियों ने बसों में सीट न मिलने पर करीब एक घंटा जाम लगाया और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दोपहर 2 बजे सरकाघाट से बराड़ता जाने वाली बस में अतिरिक्त सवारियां न बिठाए जाने को लेकर पहले तो चालक-परिचालक और सवारियों में तकरार हुई फिर वहां पर अन्य बसों से भी उतार दी गईं जिसके बाद सभी यात्रियों ने बसों के आगे बैठकर विरोध-प्रदर्शन किया। बाद में आर.एम. ने मौके पर आकर जाम को खुलवाया और सवारियों को उनके गंतव्यों तक भेजा गया।
ढली चौक पर बसों के आगे लेट गए छात्र
वहीं राजधानी शिमला में ढली चौक पर बसों से कॉलेजों के छात्रों व अन्य सवारियों को बसों से उतारा गया, जिसके बाद छात्रों ने चक्का जाम कर दिया। गुस्साए छात्र बस के आगे लेट गए। ढली चौक में धरना प्रदर्शन के दौरान रवि कुमार ने कहा कि ओवरलोडिंग की आड़ में बच्चों को स्कूली छात्रों को व किसानों बागवानों को तंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कॉलेज, स्कूली व अन्य यात्रियों को परेशान किया गया तथा जल्द समस्या का हल नहीं होता तो 24 घंटे के बाद सचिवालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
यात्रियों और चालकों-परिचालकों में तनाव बढ़ा
प्रदेश सरकार व अधिकारियों ने ओवरलोडिंग पर चालान के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन ये आदेश अब सरकार और अधिकारियों के गले का फ ांस बन गए हैं। आदेशों के मुताबिक बसों के ड्राइवर-कंडक्टर स्कूल व कॉलेज के बच्चों और कई सवारियों को बसों में नहीं बिठा रहे, जिसका सारा नुक्सान सिर्फ यात्रियों को झेलना पड़ रहा है। सरकार और अधिकारियों के आदेशों ने यात्रियों और कंडक्टरों को लड़ने पर मजबूर कर दिया है जबकि नियम स्पष्ट नहीं किए जा रहे। अगर एक सवारी भी बस में खड़ी नहीं होने देनी तो फिर पब्लिक के लिए वैकल्पिक व्यवस्था क्या है?