रात को ये क्या हो रहा है आईजीएमसी में, पढ़ें पूरी खबर

Edited By kirti, Updated: 02 Mar, 2020 01:15 PM

what is happening at night in igmc read full news

आई.जी.एम.सी. प्रशासन का एक और सच सामने आया है। यहां पर रात के समय कार्डधारक मरीजों को दवाइयां तक नहीं मिलती हैं। वैसे प्रशासन दवाइयों को लेकर दावे तो एक से बढ़कर एक करता है लेकिन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। सरकार ने गरीब मरीजों की सुविधा के लिए...

शिमला : आई.जी.एम.सी. प्रशासन का एक और सच सामने आया है। यहां पर रात के समय कार्डधारक मरीजों को दवाइयां तक नहीं मिलती हैं। वैसे प्रशासन दवाइयों को लेकर दावे तो एक से बढ़कर एक करता है लेकिन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। सरकार ने गरीब मरीजों की सुविधा के लिए आयुष्मान और हिमकेयर योजनाएं लागू की हैं। प्रशासन इन योजनाओं को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सरकार ने भी योजनाओं को सिर्फ एक बार लागू कर दिया है और अब इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार प्रदेश के लोगों को यही निर्देश दे रही है कि हिमकेयर और आयुष्मान योजना के कार्ड बनाएं। सरकार को यह पता नहीं कि कार्ड तो बनाए जा रहे हैं लेकिन अस्पताल में कार्ड पर दवाइयां मिल रही हैं या नहीं। आई.जी.एम.सी. में सैंकड़ों मरीज उपचाराधीन हैं। एक भी मरीज ऐसा नहीं है जिसे कार्ड पर रात के समय दवाइयां मिल पा रही हों। 

मरीजों को वार्ड में रात के समय में अधिक दिक्कतें होती हैं, तभी ड्यूटी पर तैनात नर्स व डाक्टर तीमारदारों से दवाइयां मंगवाते हैं। तीमारदार जब जनौषधि की दुकान में जाता है तो उसे वहां पर तैनात कर्मचारी की भी दो टूक सुनने को मिलती है। कर्मचारी सीधे शब्दों में कहते हैं कि यहां पर दोबारा मत आना। एक बार समझा दिया है दूसरी बार आए तो गालियां सुनने को तैयार रहना। तीमारदार ऐसी स्थिति में वापस वार्ड में जाता है और वहां पर फिर डाक्टर और नर्सों से दो शब्द अतिरिक्त सुनने पड़ते हैं। बाद में तीमारदार को दवाइयां पैसे खर्च कर सिविल सप्लाई की दुकान या फिर बाजारों से खरीदनी पड़ती हैं। हैरानी की बात है कि जब मरीजों के कार्ड बने हैं तो उन्हें पैसे देकर दवाइयां क्यों खरीदनी पड़ती हैं। जनौषधि वाले यही कहते हैं कि जैनरिक स्टोर और डिस्पैंसरी से प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं तभी दवाइयां मिलेंगी। इन दिनों मरीज दवाइयां खरीदने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं। 

प्रक्रिया मरीज जब भर्ती होता है तो सबसे पहले कार्ड को एक्टीवेट करना पड़ता है। कार्ड एक्टीवेट करवाने के लिए मरीज की फोटो, आधार कार्ड व कार्ड की फोटो आदि लगती है। 3-4 घंटे के बाद ही कार्ड एक्टीवेट होता है। जब कार्ड एक्टीवेट होता है तभी मरीज के तीमारदार के पास एक फार्म दिया जाता है जो वार्ड में ले जाना पड़ता है। उसके बाद डाक्टर पैकेज तैयार करते हैं। उस पैकेज के आधार पर फिर दवाइयां मंगवाना शुरू करते हैं। दवाइयां लेने के लिए पहले तीमारदार को फार्म लेकर 50 नंबर यानी जैनरिक स्टोर में जाना पड़ता है। वहां पर सिर्फ 1 या 2 दवाइयां मिलेंगी। उसके बाद उसी फार्म को तीमारदार को फोटोस्टेट करवाकर फिर डिस्पैंसरी जाना पड़ता है। डिस्पैंसरी से एकघंटे के बाद तीमारदार को भेजा जाता है। उसके बाद फिर फार्म लेकर जनौषधि की दुकान में जाना पड़ता है। वहां पर 2-3 घंटे लाइन में खड़ा रहकर ही दवाइयां मिलती हैं। अगर आप्रेशन का सामान हो तो 4-5 घंटे लग जाते हैं।
 

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