Edited By Ekta, Updated: 29 Jan, 2019 11:21 AM
राज्य में आऊटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती का तरीका बदला जाएगा। इसके तहत सरकार निकट भविष्य में आऊटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रॉनिक डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन को नोडल एजैंसी बनाने पर विचार कर रही है। इस...
शिमला (कुलदीप): राज्य में आऊटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती का तरीका बदला जाएगा। इसके तहत सरकार निकट भविष्य में आऊटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रॉनिक डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन को नोडल एजैंसी बनाने पर विचार कर रही है। इस रणनीति से कार्पोरेशन को भी लाभ होगा। इसमें अढ़ाई फीसदी राशि कार्पोरेशन और इतनी ही राशि भर्ती करने वाली एजैंसी के खाते में जाएगी। कार्पोरेशन को आऊटसोर्स पर भर्ती करने के लिए नोडल एजैंसी बनाए जाने का मामला मंत्रिमंडल में जाएगा। मंत्रिमंडल से अनुमति मिलने पर भर्ती की नई प्रक्रिया कार्पोरेशन के माध्यम से की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में प्रदेश सचिवालय सहित विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों व विद्युत परिषद में आऊटसोर्स के आधार पर 8,731 कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें पिछले साल तक सरकारी विभागों में 5,048, बोर्डों में 2,893 और निगमों में 790 कर्मचारी आऊटसोर्स पर नियुक्त हैं। राज्य में गत 3 वर्षों के दौरान आऊटसोर्स पर सेवाएं देने वाली कंपनी व ठेकेदारों को 2,25,88,26,495.00 रुपए खर्च किए। यानि भविष्य में खर्च की गई राशि का अढ़ाई फीसदी अब कार्पोरेशन के खाते में जाएगा और इतनी ही राशि आऊटसोर्स पर सेवाएं देने वाली कंपनी व ठेकेदारों के खाते में जाएंगे।
मौजूदा समय में आऊटसोर्स कर्मियों के वेतन निर्धारण के लिए कोई मानक फार्मूला नहीं है, जिसके आधार पर वेतन दिया जाता है। इस श्रेणी के कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार की तरफ से 1 जुलाई, 2017 को दिशा-निर्देश जारी किए गए ताकि कार्यस्थल पर शोषण न हो। अब तक आऊटसोर्स के तहत न तो रोस्टर का प्रावधान है और न ही पॉलिसी का प्रावधान है। इस तरह केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से आऊटसोर्स पर कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही हैं, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के भी कुछ निर्देश जारी हुए हैं।