किसानों की मेहनत पर फिरा पानी, वजह जानकर आपको भी होगी हैरानी

Edited By Vijay, Updated: 04 Mar, 2019 05:10 PM

water round on farmers  hard work knowing the reasons will surprise you too

मौसम की बेरुखी की वजह से न केवल आलू उत्पादक किसान परेशान हैं बल्कि जिन्होंने गेहूं की बिजाई की है उन्हें भी इस बार काफी घाटा सहन करना पड़ेगा।ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार हो रही बारिश की वजह से निचले क्षेत्रों में खेतों में पानी खड़ा हो गया है जिससे...

ऊना (सुरेन्द्र): मौसम की बेरुखी की वजह से न केवल आलू उत्पादक किसान परेशान हैं बल्कि जिन्होंने गेहूं की बिजाई की है उन्हें भी इस बार काफी घाटा सहन करना पड़ेगा।ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार हो रही बारिश की वजह से निचले क्षेत्रों में खेतों में पानी खड़ा हो गया है जिससे गेहूं की फसल खराब हो चुकी है। नमीयुक्त क्षेत्रों में अधिक बारिश की वजह से गेहूं के खेत हरियाली की बजाय पीले रंग में दिखाई दे रहे हैं। जिला में स्वां नदी के आसपास के तटों और सिंचाई युक्त क्षेत्रों में पानी की अधिकता के चलते फसल को काफी नुक्सान पहुंचा है क्योंकि यहां पानी से अब भी खेत लबालब हैं। अनेक स्थानों पर तो गेहूं सडऩे लगी है तो कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जो पूरे पीले रंग में तबदील हो चुके हैं।

क्षेत्रों में सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन उन्हीं में बारिश की सबसे अधिक मार

जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन होता था उन्हीं में बारिश की मार सबसे अधिक पड़ी है। इससे जिला में गेहूं के उत्पादन पर भी बड़ा असर पडऩे की आशंका जताई जा रही है। कृषि विभाग की टीमें भी मौके पर स्थिति का जायजा ले रही हैं।

गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा असर

स्तोथर गांव के किसान प्रदीप शर्मा, जनकौर के जगदेव सिंह, रैंसरी के बिशन दास, बसाल के नरेश शर्मा, हम्बोली के सरवन सिंह सहित दर्जनों किसानों ने माना कि मौसम की बेरुखी की वजह से उनकी गेहूं और अब बुआई की गई आलू की फसल को काफी नुक्सान पहुंचा है। खेतों में पानी खड़ा हो गया है। बार-बार हो रही बारिश ने गेहूं की फसल को काफी क्षति पहुंचाई है। यदि इसी प्रकार बारिश का क्रम जारी रहा तो किसानों को नुक्सान होगा। इसके उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।

30,200 हैक्टेयर भूमि पर होती है गेहूं की बिजाई

रिकार्ड के मुताबिक जिला ऊना में करीब 30,200 हैक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की जाती है। इससे लगभग 64,500 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होता है। जिला में लगभग 8 हजार क्विंटल गेहूं बीज के लिए तैयार किया जाता है। जिला में 29,938 हैक्टेयर पर मक्की की फसल की बुआई की जाती है जिससे 54,210 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। 2519 हैक्टेयर पर धान लगाया जाता है जिससे 3730 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। जिला में 705 हैक्टेयर भूमि पर आलू तथा 1361 हैक्टेयर भूमि पर सब्जियों की खेती की जा रही है।

मौसम साफ होने पर यूरिया का छिड़काव करें किसान

कृषि विभाग के डिप्टी डायरैक्टर डा. सुरेश कपूर ने बताया कि मौसम की बेरुखी की वजह से गेहूं की फसल को नुक्सान हो रहा है। जिन खेतों में नमी ज्यादा है या पानी खड़ा है वहां गेहूं पीली हो गई है। किसान मौसम साफ होने पर यूरिया का छिड़काव विशेषज्ञ के परामर्श पर करें।

 

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