पानी ने माहौल गर्माया लेकिन लोगों को इसका महत्व समझ नहीं आया

Edited By kirti, Updated: 13 Sep, 2018 02:27 PM

water heated the atmosphere but people did not understand its importance

मैडीकल कालेज अस्पताल में पेयजल की चरमराई व्यवस्था को लेकर डी.सी. चम्बा व कालेज प्राचार्य के बीच गहमागहमी हो गई थी लेकिन इस घटना को 2 दिन बीतने के बाद भी अस्पताल की पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई भी प्रभावी कदम अब तक नहीं उठाया गया है। इस...

चम्बा : मैडीकल कालेज अस्पताल में पेयजल की चरमराई व्यवस्था को लेकर डी.सी. चम्बा व कालेज प्राचार्य के बीच गहमागहमी हो गई थी लेकिन इस घटना को 2 दिन बीतने के बाद भी अस्पताल की पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई भी प्रभावी कदम अब तक नहीं उठाया गया है। इस बात का प्रमाण बुधवार को अस्पताल परिसर की विभिन्न मंजिलों में मौजूद शौचालयों में लगे नलों से पानी व्यर्थ बहने के रूप में देखा गया। इसमें कोई दोराय नहीं है कि इसके लिए सबसे पहले तो वे लोग जिम्मेदार हैं जोकि इस सुविधा का सही ढंग से प्रयोग नहीं कर रहे हैं लेकिन लोगों की आदत को सुधारने से बेहतर है कि मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा का प्रबंधन ऐसी व्यवस्था करे कि इस प्रकार से पानी बेकार में न बहे।

1 लाख लीटर पानी की है व्यवस्था
मौजूदा समय में इस अस्पताल में प्रत्येक कार्य को अंजाम देने के लिए 1 लाख लीटर जल भंडारण की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है। जिला के इस सबसे बड़े अस्पताल में रोगियों को भर्ती करने की क्षमता यूं तो 200 के करीब है लेकिन यहां इस क्षमता से अधिक संख्या में रोगी भर्ती होते हैं, साथ ही इस अस्पताल में आप्रेशन थिएटर होने के चलते वहां के लिए भी पानी की आपूॢत इस भंडार से की जाती है। इसके साथ ही रोगियों के साथ आए उनके परिजन भी अस्पताल की इस व्यवस्था के माध्यम से ही अपने कार्यों को अंजाम देते हैं। इस स्थिति के बीच अस्पताल की प्रत्येक मंजिल के बाथरूम में लगे नलों से पानी इस कद्र व्यर्थ में बहते रहना बेहद ङ्क्षचता की बात है।

क्या कहते हैं लोग
रोहित कुमार, चंद्र कुमार, दिनेश कुमार, फौजा राम, जमालदीन, विरेंद्र कुमार, कमल कुमार, अभिषेक व मुन्ना का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन को अस्पताल के शौचालयों में लगे नलों की जांच करने के लिए अस्पताल में तैनात सुरक्षा कर्मियों व अन्य को तैनात करना चाहिए। समय-समय पर सुरक्षा कर्मी शौचालयों का निरीक्षण करें और जो भी नल खुला हो उसे वे बंद करें। इसके साथ ही रोगियों के परिजनों को इस बारे में जागरूक करें। इसके साथ अस्पताल प्रबंधन ऐसे नल लगाए जोकि दबाने पर ही पानी छोड़ें। ऐसा करने से जैसे ही कोई व्यक्ति नल को दबाएगा तो ही पानी निकलेगा। इस व्यवस्था से पेयजल व्यर्थ नहीं बहेगा। 

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