शिमला में पानी संकट: टूरिस्टों की जेब हो रही हल्की, टॉय ट्रेन पर भी असर

Edited By Ekta, Updated: 29 May, 2018 01:53 PM

water crisis in shimla

पहाड़ों की रानी शिमला के इतिहास में पहली बार पानी का काफी ज्यादा संकट खड़ा हो गया है। पिछले 10-12 दिनों से पानी नहीं आ रहा है। लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। ऊपर से टूरिजम सीजन में सैलानियों की बाढ़ ने पूरा सिस्टम ही बिगाड़ दिया है। होटल कारोबारियों...

शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला के इतिहास में पहली बार पानी का काफी ज्यादा संकट खड़ा हो गया है। पिछले 10-12 दिनों से पानी नहीं आ रहा है। लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। ऊपर से टूरिजम सीजन में सैलानियों की बाढ़ ने पूरा सिस्टम ही बिगाड़ दिया है। होटल कारोबारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। घरों में पीने और खाना बनाने के लिए पानी तक नहीं है। लोग हफ्ते से ज्यादा नहाए हुए हो गए हैं। लोगों का सब्र जवाब दे रहा है। आलम यह है कि सोमवार रात को लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने सीएम हाऊस घेरने की कोशिश की। वहीं लोग जब सीएम हाऊस को घेरने के लिए निकले तो पुलिस ने कइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी।


इस संकट पर हिमाचल हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मंगलवार को सरकार से जवाब तलब कर लिया है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री जयराम ने भी एक हाई लेवल कमेटी बनाकर मौजूदा हालातों से निकलने के लिए उससे 24 घंटे में सुझाव वाली रिपोर्ट मांग ली। वहीं पड़ोसी जिलों से पानी के टैंकर मंगवा लिए हैं। बताया जाता है कि अब सैलानी पानी के लिए बुरी तरह लुट रहे हैं। होटलों में पानी नहीं मिल रहा है और सूचनाएं यहां तक हैं कि उनसे रूम खाली करवाने और रिफंड के ऑफर तक दिए जा रहे हैं। टूरिज्म इंडस्ट्रीज स्टेक होल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके सेठ के मुताबिक पानी की किल्लत के कारण महंगी दर पर भी टैंकर मिलना मुश्किल हो रहा है। 


हेरिटेज टॉय ट्रेन पर भी गहराया संकट 
शिमला व आसपास के इलाकों में पानी की कमी की वजह से टूरिस्ट सीजन का मजा किरकिरा होने लगा है। इससे शिमला-कालका हैरिटेज रेलवे ट्रैक पर चलने वाली रेल गाड़ियों पर भी पड़ा है। अब टॉय ट्रेन पर भी असर पड़ रहा है। जॉय राइड ट्रेन के इंजन के लिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है। पानी का इंतजाम करने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। रविवार को रेलगाड़ियों और इंजन में प्रयुक्त होने वाले पानी का प्रबंध नहीं हो पाया और इस कारण एक गाड़ी समय पर रवाना नहीं हो पाई। 


इतना गिरा पानी का स्तर 
शिमला के पेयजल भंडारण टैंकों में पहुंचने वाले पानी की मात्रा 20 एमएलडी से भी कम हो गई है। 70 फीसदी तक पानी का स्तर गिर गया है। शहरी विकास मंत्रालय के मापदंडों के अनुसार 135 लीटर प्रति व्यक्ति पानी के हिसाब से शहर में हर रोज आपूर्ति के लिए केवल 36.45 एमएलडी पानी की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसे सबसे बड़ा पेयजल संकट करार दिया। उन्होंने कहा कि पानी के नाम पर पर्यटकों को लूटा जा रहा है। वहीं शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह और कुसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह ने चेतावनी दी है कि पानी का संकट अगर 30 मई तक नहीं ठीक हुआ तो कांग्रेस, पार्षदों के साथ नगर निगम का घेराव करेगी। 

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