Edited By Ekta, Updated: 22 Oct, 2018 02:56 PM
प्रदेश सरकार द्वारा शिमला का नाम बदलने पर श्यामला करने को लेकर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला का नाम बदलने को लेकर जयराम सरकार को आड़े हाथों लिया है। वीरभद्र ने कहा है कि शिमला का नाम बदलने का औचित्य ही नहीं...
शिमला (योगराज): प्रदेश सरकार द्वारा शिमला का नाम बदलने पर श्यामला करने को लेकर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला का नाम बदलने को लेकर जयराम सरकार को आड़े हाथों लिया है। वीरभद्र ने कहा है कि शिमला का नाम बदलने का औचित्य ही नहीं बनता है। शिमला ऐतिहासिक नाम है और इसका नाम कभी भी श्यामला नहीं था और न ही इसके आसपास 100 किलोमीटर तक कोई श्यामला नाम से किसी देवी का मंदिर है। नाम बदलने से शिमला की तस्वीर नहीं बदलने वाली। प्रदेश के लोग विकास चाहते हैं और इसके लिए सरकार को काम करने होंगे। शिमला का नाम बदलने से यंहा के पर्यटन पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
वीरभद्र ने कहा कि अगर सरकार नाम बदलती है तो कांग्रेस पार्टी इसका प्रदेश स्तर पर विरोध करेगी और अगर भाजपा शिमला का नाम श्यामला कर भी देती है तो सत्ता में आने पर कांग्रेस इसका नाम फिर से शिमला ही करेगी। उनके साथ पहुंचे विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि भाजपा का देश में नाम बदलने का राष्ट्रीय एजेंडा चल रहा है और इसी देखा-देखी में प्रदेश सरकार भी शिमला का नाम बदलना चाहती है जिसे कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी।
शिमला अपने आप में ख्याति प्राप्त जगह है, इसलिए इसका नाम बदलने से कुछ भी नहीं होने वाला है। भाजपा सरकार की नालायकी की वजह से शिमला की पानी की कमी को लेकर काफी बदनामी हुई थी सरकार को इसमें काम करने की जरूरत है न कि नाम बदलने के लिए। हालांकि सरकार ने नाम बदलने की अपनी बात से यूटर्न ले लिया है और मुख्यमंत्री ने आज ट्वीट कर नाम न बदलने की बात कही है। सरकार की सोशल मीडिया में काफी किरकरी भी हो रही है जिसे देखते हुए सरकार अब नाम ना बदलने की बात कर रही है।