20 लाख में बने मकान को वैध कराना है तो चुकानी पड़ेगी इतनी कीमत

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Nov, 2017 10:07 PM

valid house to built in 20 lakhs then will pay to so much price

हिमाचल प्रदेश में जिन लोगों ने 2-3 दशक पहले अपने मकान 15 से 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए हैं.....

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जिन लोगों ने 2-3 दशक पहले अपने मकान 15 से 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए हैं, अब उन्हें वैध कराने के लिए लोगों को दोगुना से भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। ऐसा न करने पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध निर्माण या डेविएशन को तोडऩे के निर्देश दे रखे हैं। अवैध स्ट्रक्चर रैगुलर करने के लिए जो फीस एन.जी.टी. ने तय की है, उसके मुताबिक 1000 वर्ग फुट में की गई डेविएशन को रैगुलर करने के लिए 50 लाख रुपए चुकाने पड़ेंगे। इसी तरह 1000 वर्ग फुट में बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान को वैध करने के लिए 1 करोड़ रुपए देने होंगे। जो लोग अपने अवैध निर्माण या डेविएशन को वैध नहीं करा पाएंगे, उनके अवैध निर्माण को गिरा दिया जाएगा। एन.जी.टी. ने 500 रुपए प्रति वर्ग फुट घरेलू मकान और 1000 रुपए प्रति वर्ग फुट व्यावसायिक घरानों को रैगुलर करने की कंपाऊंडिंग फीस तय की है जिसे मुट्ठीभर लोग भी नहीं चुका पाएंगे क्योंकि जितनी लागत मकान बनाने में आई है, उससे ज्यादा मकान को वैध करने के लिए देनी पड़ेगी। इससे प्रदेशभर में सैंकड़ों मकान अवैध रह जाएंगे। प्रशासन को भी मजबूरन अवैध भवनों और डेविएशन पर हथौड़ा चलाना होगा।

क्या है डेविएशन
यदि किसी व्यक्ति का टी.सी.पी., नगर निकाय ने 3 मंजिला मकान बनाने का नक्शा पास किया है और वो व्यक्ति 3 की जगह 4 मंजिला मकान बना देता है तो उसे डेविएशन कहा जाता है, ऐसे में एन.जी.टी. के ताजा आदेशों के तहत एक मंजिल की इस डेविएशन को रैगुलर करने के लिए भवन मालिक को निर्धारित कंपाऊंडिंग फीस चुकानी होगी। यदि कोई व्यक्ति टी.सी.पी. व नगर निकाय की अनुमति के बगैर मकान बना लेता है तो वो मकान अवैध की श्रेणी में आएगा।

राज्य सरकार के संशोधन एक्ट में ये थी कंपाऊंडिंग फीस
राज्य सरकार ने जो संशोधन विधेयक लाया उसमें 1000 रुपए प्रति वर्ग मीटर कंपाऊंडिंग फीस तय की गई थी। इस फीस को बहुत अधिक बताकर ज्यादातर लोगों ने अपने मकान रैगुलर करने के लिए आवेदन नहीं किया लेकिन एन.जी.टी. ने जो ताजा आदेश दिए हैं, उसके मुताबिक प्रति वर्ग मीटर 15 हजार रुपए से ज्यादा कंपाऊंडिंग फीस बनती है। इसी तरह व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को रैगुलर करने की फीस 30 हजार रुपए से ज्यादा प्रति वर्ग मीटर बनती है।

फैसले से खुश नहीं है आम आदमी व बिल्डर लॉबी 
आम आदमी के साथ-साथ बिल्डर लॉबी भी नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले से खुश नहीं हैं। प्रदेश के प्लानिंग और स्पैशल एरिया में 30 हजार से ज्यादा अवैध मकान हैं। इनमें ज्यादातर मकान 20 से 30 वर्ष पहले के बने हुए हैं जोकि बाद में प्लानिंग या फिर स्पैशल एरिया में मर्ज किए गए हैं। जब ये मकान बने थे तो पंचायतों में टी.सी.पी. एक्ट लागू नहीं होता था। बाद में जब इन्हें प्लानिंग या स्पैशल एरिया में मर्ज किया गया तो यहां टी.सी.पी. एक्ट लगने के कारण मर्ज एरिया के मकान अवैध हो गए, ऐसे में अवैध भवनों के मालिकों को दोष देना सही नहीं है। यह लापरवाही सरकारों, टी.सी.पी. और स्थानीय शहरी निकाय की है। कायदे से कानून नए निर्माण पर लागू होने चाहिए। 

रसूखदारों और बिल्डरों ने किया सबसे ज्यादा अवैध निर्माण
प्रदेश में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण रसूखदार और कुछ बिल्डरों ने किया है लेकिन इन पर सूबे की सरकारों की जमकर अनुकंपा बरसी है। हालांकि ऐसे रसूखदारों के मकान या तो कैबिनेट या फिर विधानसभा में रैगुलर कर दिए जाते हैं मगर आम आदमी को प्लानिंग व स्पैशल एरिया में आसानी से मकान बनाने की भी अनुमति नहीं दी जाती है। इसी तरह प्रदेश में 45 डिग्री से ज्यादा के भूमि ढलान पर मकान बनाना असुरक्षित है। एन.जी.टी. ने भी इससे अधिक के ढलान पर निर्माण न करने के निर्देश दिए हैं लेकिन प्रदेश में 70 से 80 डिग्री के ढलान पर भी मकान बने हैं। सवाल उठता है कि 45 डिग्री से अधिक के ढलान पर मकान कैसे बने और इन मकानों में कैसे बिजली व पानी के कनैक्शन दिए गए? इन सब के लिए टी.सी.पी., नगर निकाय और स्पैशल एरिया डिवैल्पमैंट अथॉरिटी पूरी तरह से जिम्मेदार है। 

30 हजार से ज्यादा लोगों के छिनेंगे आशियाने
इस मुद्दे को लंबे समय से सरकार और कोर्ट के समक्ष उठाने वाली उप नगरीय जन कल्याण समिति ने राज्य सरकार से इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग उठाई है। समिति के अध्यक्ष गोविंद चिंतरांटा ने बताया कि हाईकोर्ट में विचाराधीन टी.सी.पी. संशोधन विधेयक पर कोर्ट के आदेशों का इंतजार किया जाएगा, साथ ही शिमला में बैठक बुलाकर राज्य सरकार पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का दबाव डाला जाएगा। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा लोगों के आशियाने छिन जाएंगे। लोगों में इन आदेशों के बाद से हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि एन.जी.टी. द्वारा निर्धारित कंपाऊंडिंग फीस चुकाने के लोगों को लाखों रुपए चुकाने पड़ेंगे। समिति जो जैसा है के आधार पर रैगुलर करने की मांग उठाएगी।

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