Valentine Day Special: अंग्रेजी मैडम की अमर प्रेम कहानी को देखकर आप भी कहेंगे प्यार हो तो ऐसा (Video

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Feb, 2018 12:05 PM

कहते हैं प्यार दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। 14 फरवरी वेलेंटाइन डे यानी प्यार का दिन। इस दिन को ''वेलेंटाइन डे'' कहा जाता है। आज हम आपको ऐतिहासिक शहर नाहन में पहाड़ों के बीच दफन एक अंग्रेज मैडम की प्रेम कहानी से रू-ब-रू करवाएंगे। जिसे पढ़कर...

नाहन (सतीश): कहते हैं प्यार दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। 14 फरवरी वेलेंटाइन डे यानी प्यार का दिन। इस दिन को 'वेलेंटाइन डे' कहा जाता है। आज हम आपको ऐतिहासिक शहर नाहन में पहाड़ों के बीच दफन एक अंग्रेज मैडम की प्रेम कहानी से रू-ब-रू करवाएंगे। जिसे पढ़कर आप भी ये कहने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि प्यार हो तो ऐसा। जी हां, जहां एक अंग्रेज मैडम ने अपने पति की कब्र के साथ दफन होने के लिए 38 साल का लंबा इंतजार किया। ये कहानी इतिहास के पन्नों में आज भी दर्ज है। जो आज भी अपने आप में एक मिसाल है। 
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पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल किया मौत का इंतजार
रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति के बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया। यहां जिक्र अंग्रेजी मैडम लूसिया पियरसाल का हो रहा है। रियासतकाल में लूसिया अपने पति डॉ. इडविन पियरसाल के साथ यहां पहुंची थीं।
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50 साल की आयु में हुआ पति था का इंतकाल
लूसिया के पति डॉ. इडविन पियरसाल महाराजा के मेडीकल सुपरिटेंडेंट थे। डॉ. पियरसाल ने महाराजा के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दीं और 19 नवंबर 1883 में डॉ. इडविन का 50 साल की आयु में इंतकाल हो गया। पियरसाल को मिलिटरी ऑनर के साथ ऐतिहासिक विला राऊंड के उत्तरी हिस्से में दफन किया। यह जगह पियरसाल ने खुद चुनी थी और कहा था उन्हें यहां दफनाया जाए। उस वक्त लूसिया 49 साल की थीं। उनकी भांति लूसिया भी एक रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला थीं। कहते हैं कि पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंगलैंड नहीं गईं। अपने अन्य परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया। 
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1885 में लूसिया ने भारी धन खर्च कर पति की कब्र को पक्का करवाया
बतातें हैं कि पति की मौत के बाद लूसिया इंग्लैंड वापस नहीं लौटी। उसका अपने पति के साथ बेपनाह मोहब्बत का इसी बात से पता लगाया जा सकता था कि 1885 में लूसिया ने भारी धन खर्च कर अपने पति की कब्र को पक्का करवाया। इंग्लैंड न लौटकर अपने परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया। 19 अक्तूबर 1921 को आखिरकार वह घड़ी भी आ गई जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। 

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