Edited By Punjab Kesari, Updated: 02 Jul, 2017 09:53 AM
''प्यार अंधा होता है''...यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। आज हम आपको एक ऐसी ही लव स्टोरी से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं जिसके बाद ये साबित हो जाएगा कि प्यार अंधा होता है। यह लव स्टोरी है कर्ण और सुमन की।
ज्वालामुखी: 'प्यार अंधा होता है'...यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। आज हम आपको एक ऐसी ही लव स्टोरी से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं जिसके बाद ये साबित हो जाएगा कि प्यार अंधा होता है। यह लव स्टोरी है कर्ण और सुमन की। जहां ज्वालामुखी मंदिर में माथा टेकने के लिए लुधियाना (पंजाब) से आई सुमन को ढाबे में काम करने वाले कर्ण से प्यार हो जाता है और वह हर हाल में उससे शादी करने को तैयार हो जाती है। परंपरागत तरीके से देखा जाए तो दुल्हा बारात लेकर अपनी दुल्हन के साथ शादी करने जाता है, परंतु ऐसा बहुत कम देखने व सुनने को मिलता है कि जब दुल्हन अपनी ही शादी को अपने दूल्हे के शहर में आती है और मंदिर में दोनों एक जिस्म और दो जान होने के लिए तैयार हो जाते हों।
3 जुलाई को शादी करने का किया फैसला
ऐसे किस्से फिल्मों में ही देखने को मिलते हैं। उसको कर्ण से इस कदर मोहब्बत हो जाती है कि वह अपने सभी रिश्तेदारों को भूल कर सिर्फ उससे शादी करना चाहती है। उसके घर वाले अच्छे खाते-पीते परिवार से है वे इस शादी के खिलाफ थे। लेकिन प्यार की दीवानगी कहां समाज की परवाह करती है। उसने सभी को छोड़कर 3 जुलाई को ज्वालामुखी मंदिर में अपनी प्रेमी कर्ण से शादी करने का फैसला किया है। दोनों बालिग हैं और कानूनन उनको शादी करने का हक भी है। कर्ण के घर में उसके पिता प्रशोतम चंद भैड़ा खुद ढाबे में काम करते हैं। उनको अपने बेटे की शादी से कोई नाराजगी नहीं बल्कि वह खुश है कि घर में बहू आ रही है। खास बात यह है कि वह शादी की तैयारी खुद अपनी मेहनत की कमाई से कर रही है, क्योंकि घर वाले शादी से नाराज है और उसको सारा खर्चा खुद उठाना पड़ रहा है। दोनों के प्यार भरे कदम को अंजाम तक पहुंचने देखने के लिए ज्वालामुखी के लोग भी बड़े उतावले नजर आ रहे हैं।