Edited By Simpy Khanna, Updated: 14 Jan, 2020 05:15 PM
पंछी,नदियां,पवन के झोंके,कोई सरहद ना इन्हें रोके.." इस गीत की पंक्तियों का अर्थ है कि आसमान में उन्मुक्त विचरण करते पक्षी कोई सरहद और दीवार नहीं जानते। जहां मन किया वहीं चले जाते हैं, एक सरहद से दुसरी सरहद आने वाले इन प्रवासी पक्षियों ने सैंकड़ो की...
ऊना (अमित): " पंछी,नदियां,पवन के झोंके,कोई सरहद ना इन्हें रोके.." इस गीत की पंक्तियों का अर्थ है कि आसमान में उन्मुक्त विचरण करते पक्षी कोई सरहद और दीवार नहीं जानते। जहां मन किया वहीं चले जाते हैं, एक सरहद से दुसरी सरहद आने वाले इन प्रवासी पक्षियों ने सैंकड़ो की संख्या में ऊना की गोबिंद सागर झील और स्वां नदी पर डेरा डाला है। जिला ऊना की गोबिंद सागर झील और स्वां नदी इन प्रवासी पक्षियों के आने से गुलजार हो गई है तथा प्रवासी पक्षियों के आगमन से झील और नदी का क्षेत्र चहक उठा है।
गोबिंद सागर झील और स्वां नदी में पिछले कुछ वर्षों से प्रवासी पक्षी आ रहे है लेकिन इनकी संख्या न के बराबर ही होती थी लेकिन इस दफा सैंकड़ो प्रवासी पक्षियों ने गोबिंद सागर झील और स्वां नदी को अपना पसंदीदा स्थल मानते हुए यहां पर डेरा डाला है। इन दोनों स्थानों पर प्रवासी पक्षियों की लगभग 10-12 प्रजातिया यहां देखने को मिल रही है। इनमें से गोबिंद सागर में सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले बार हेडेड गूस भी देखने को मिला है जबकि स्वां नदी में ब्लैक विंग स्टीम्ड सहित अन्य प्रजातियों के प्रवासी पक्षी अठखेलियां करते देखे जा रहे है। वन विभाग की माने तो सभी कर्मियों को इन पक्षियों बारे लोगों को जागरूक करने के साथ साथ पंछियों की प्रजातियों और संख्या की जानकारी भी एकत्रित करने के निर्देश दिए गए है।
इससे पहले इन प्रवासी पक्षियों का मनपसंद स्थल पांग झील ही हुआ करता था लेकिन इस दफा प्रवासी पक्षियों ने शान्तमय गोबिंद सागर और स्वां नदी को भी अपने लिए बेहतर स्थल चुना है। गोबिंद सागर और स्वां नदी में इस समय बत्तखों और जलकाग की कई किस्मों जैसे रूड़ी शेलडक, बार हेडेड, मलार्डस प्रमुख तौर पर देखी जा सकती है इसके इलावा यहां पर पक्षियों की भी कुछ दुर्लभ प्रजातिया देखने को मिलती है जिनमे रेड नेक्ड ग्रेव और गुल्लुज शामिल हैं। डीएफओ मृत्युंजय माधव की माने तो प्रवासी पक्षी अक्सर कम गहराई वाली झील और नदियों का ही चयन करते है।