ऊना में ठंड ने बढ़ाई ठिठुरन, तापमान पहुंचा 18.8 डिग्री सैल्सियस

Edited By kirti, Updated: 06 Jan, 2019 01:19 PM

una in cold weather

जनवरी माह के दिन बढ़ने के साथ ही जिला में ठिठुरन बढऩे लगी है। जिला में शनिवार को अधिकतम पारा एक बार फिर कम होकर 20 डिग्री सैल्सियस से भी नीचे गिरते हुए 18.8 डिग्री सैल्सियस तक जा पहुंचा है, वहीं न्यूनतम पारा 7.4 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है।

 

ऊना : जनवरी माह के दिन बढ़ने के साथ ही जिला में ठिठुरन बढऩे लगी है। जिला में शनिवार को अधिकतम पारा एक बार फिर कम होकर 20 डिग्री सैल्सियस से भी नीचे गिरते हुए 18.8 डिग्री सैल्सियस तक जा पहुंचा है, वहीं न्यूनतम पारा 7.4 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है। अधिकतम तापमान में यह गिरावट दूसरी बार दर्ज की गई है। तापमान के नीचे गिरने के चलते जिला में ठंडक बढ़ गई है और लोगों में ठिठुरन पैदा हो गई है। ठंड से बचने के लिए लोग तरह-तरह के यत्न कर रहे हैं। कहीं अलाव जलाकर ठंड का प्रकोप दूर किया जा रहा है तो कहीं हीटरों के सहारे ठंड से लोग बचने का प्रयास कर रहे हैं। मौसम विशेषज्ञ विनोद कुमार ने बताया कि शनिवार को अधिकतम तापमान 18.8 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है जबकि न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सैल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।

 

बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रही ठंड की मार

ठंड के चलते सर्दी जनित रोगों की चपेट में भी लोग आने लगे हैं। क्षेत्रीय अस्पताल सहित जिला के विभिन्न अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों की बाढ़ आ गई है जोकि सर्दी जनित रोगों से पीड़ित हैं। सरकारी अस्पतालों में भी ऐसे रोगों से पीड़ितों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। चिकित्सकों के कक्षों के बाहर मरीजों की कतारें लगी रहती हैं और काफी संख्या में रोज मरीज चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो सर्दी की मार अधिक तौर पर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रही है। बच्चे और बुजुर्ग सर्दी जनित रोगों की चपेट में अधिक आ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही प्रशासन ने भी सर्दी से बचने के लिए एडवायजरी जारी करते हुए लोगों को बचाव के तरीके भी सुझाए थे।

इन बातों का रखें ध्यान

ए.डी.सी. अरिंदम चौधरी ने जिलावासियों का आह्वान किया है कि लोग बदलते मौसम में अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें क्योंकि ठंडी हवाएं एवं शीतलहर खतरनाक साबित हो सकती हैं। शीतलहर के दौरान घर से बाहर निकलते वक्त सिर, कान, हाथ, पैर और नाक को ढककर ही बाहर निकलें। अपने मुंह को भी ढक कर रखें, इससे फेफड़ों को ठंड से सुरक्षा मिलती है। उन्होंने कहा कि शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए पोषक आहार एवं गरम पेय पदार्थों का सेवन करें और ऊनी एवं गर्म कपड़ों का प्रयोग करें। कपड़े गीला होने से बचाएं क्योंकि गीले कपड़ों से शरीर में ऊष्मा का अभाव हो सकता है।

कमरों में हीटर, कैरोसीन, कोयले की अंगीठी का प्रयोग करते हुए धुएं के निकास का उचित प्रबंध करना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि कम तापमान में कठिन काम न करें, क्षमता से अधिक शारीरिक कार्य न करें क्योंकि इससे ह्रदयघात का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि शीतदंश के लक्षणों पर नजर रखें जैसे शरीर के अंगों का सुन्न पडऩा, हाथों व पैरों की उगलियों, कान, नाक आदि पर सफेद या पीले रंग के दाग उभरना। इसके अतिरिक्त हाईपोथर्मिया के लक्षणों पर नजर रखें जैसे याददाश्त कमजोर पडऩा, असीमित ठिठुरना, सुस्ती, थकान व तुतलाना। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे कोई भी लक्षण पाए जाएं या सेहत खराब लगे तो शीघ्र डाक्टर से संपर्क करें।
 

 

 

 

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