उमंग फाऊंडेशन ने IGMC के Eye Bank को बताया बीमार, सरकार से की ये बड़ी मांग

Edited By Vijay, Updated: 08 Sep, 2019 05:38 PM

umang foundation

हिमाचल प्रदेश में विकलांगजनों एवं अन्य कमजोर वर्गों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फाऊंडेशन ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर राज्य की बीमार नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में तुरंत व्यापक सुधार की मांग की है ताकि ज्यादा से ज्यादा दृष्टिहीन लोगों को रोशनी...

शिमला (तिलक राज): हिमाचल प्रदेश में विकलांगजनों एवं अन्य कमजोर वर्गों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फाऊंडेशन ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर राज्य की बीमार नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में तुरंत व्यापक सुधार की मांग की है ताकि ज्यादा से ज्यादा दृष्टिहीन लोगों को रोशनी दी जा सके। अभी तक राज्य में मृतकों के नेत्र संग्रह की उचित व्यवस्था न होने से प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त आंखें नहीं मिल पा रही हैं। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के समापन के मौके पर राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव, ट्रस्टी डॉ. सुरेन्दर कुमार के अलावा मुकेश कुमार एवं सवीनाजहां ने प्रैस वार्ता में कहा कि आईजीएमसी में बने नेत्र बैंक के डॉक्टरों की टीम बहुत अच्छा काम कर रही है लेकिन राज्य की नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में गम्भीर खामियां हैं, जिससे पर्याप्त संख्या में प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहे हैं।

टांडा में खुला नेत्र बैंक बिल्कुल ठप्प

उधर, कांगड़ा जिला में टांडा मैडीकल कॉलेज में अढ़ाई साल पहले खुला नेत्र बैंक बिल्कुल ठप्प पड़ा है। उन्होंने कहा कि उमंग फाऊंडेशन के प्रयासों से 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव बिंदल ने प्रदेश का पहला नेत्र बैंक खोला था लेकिन इसके बाद नेत्र बैंकिंग के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और नेटवर्क तैयार करने पर ध्यान न देने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए। बीते 9 वर्षों में सिर्फ 255 नेत्र प्रत्यारोपण किए जा सके हैं। इसका मुख्य कारण पर्याप्त संख्या में आंखें दान में न मिल पाना है।

जिला स्तर पर खोलने आवश्यक थे नेत्र संग्रह केंद्र, नहीं दिया ध्यान

अजय श्रीवास्तव ने बताया कि शिमला में नेत्र बैंक स्थापित करने के साथ ही कम से कम जिला स्तर पर नेत्र संग्रह केंद्र खोले जाने आवश्यक थे। हिमाचल की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसी भी मृतक के नेत्रों को 6 घंटे के भीतर निकालकर नेत्र बैंक तक पहुंचाना आमतौर पर संभव नहीं होता। दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछली सरकारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नौकरशाही के स्तर पर भी इस मुद्दे की उपेक्षा की गई। लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर शेष 10 जिलों में नेत्र संग्रह केंद्र खोलने के लिए नेत्र विशेषज्ञ एवं टैक्नीशियन को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है लेकिन 8 जिलों में कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं कराया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि दृष्टिहीन लोगों को नेत्र प्रत्यारोपण के लिए सिर्फ वही नेत्र मिल पाते हैं जो शिमला के आसपास या आईजीएमसी में किसी की मृत्यु होने पर उपलब्ध होते हैं। इनकी संख्या बहुत कम होती है। 160 व्यक्तियों के 320 नेत्र उनकी मृत्यु के बाद नेत्र बैंक को मिल सके लेकिन इनमें से सिर्फ 255 प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ और सही गुणवत्ता के पाए गए।

150 से अधिक दृष्टिहीन व्यक्ति नेत्र बैंक की प्रतीक्षा सूची में दर्ज

उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश में 150 से अधिक दृष्टिहीन व्यक्ति नेत्र प्रत्यारोपण के लिए नेत्र बैंक की प्रतीक्षा सूची में दर्ज हैं सैकड़ों अन्य ऐसे व्यक्ति हिमाचल में हैं जिनका कॉर्निया खराब होने से वह देख नहीं पाते हैं। यदि उन्हें कॉर्निया मिल जाए तो उनकी जिंदगी में भी थोड़ा उजाला आ जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि नाहन और धर्मशाला में नेत्र संग्रह केंद्र की सारी सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। इसके बावजूद वहां नेत्र संग्रह का काम नहीं किया जा रहा।

सभी जिलों में नेत्र संग्रह केंद्र खोले सरकार

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि तुरंत सभी जिलों में नेत्र संग्रह केंद्र खोले। इन केंद्रों में मृतक की आंखों को दान में प्राप्त करके 24 घंटे के भीतर बिना किसी प्रक्रिया के टांडा या शिमला के आई बैंक में भेजा जा सकता है। यदि यह संभव न हो तो नेत्र संग्रह केंद्र में उसकी आवश्यक प्रक्रिया पूरी करके 4 दिनों के भीतर नजदीकी नेत्र बैंक में भेजा जा सकता है। इसके बाद उन नेत्रों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है। प्रैस वार्ता में उमंग फाऊंडेशन से जुड़े अनेक दृष्टिबाधित एवं अन्य विद्यार्थी उपस्थित थे।

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