'उड़ता हिमाचल' बन रही देवभूमि, पुलिस ने 11 महीनों में 71 आरोपी दबोचे(Video)

Edited By kirti, Updated: 22 Nov, 2019 05:39 PM

हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी नशे की दलदल में धसते जा रही है। बदलते परिवेश के साथ-साथ नशे की किस्में भी बदली है। सबसे पहले चरस, अफीम और चूरा-पोस्त जैसे नशे देखने को मिलते थे, उसके बाद मेडिकल नशे सामने आये लेकिन अब युवा पीढ़ी सिंथेटिक ड्रग्स के चंगुल में...

ऊना(अमित) : हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी नशे की दलदल में धसते जा रही है। बदलते परिवेश के साथ-साथ नशे की किस्में भी बदली है। सबसे पहले चरस, अफीम और चूरा-पोस्त जैसे नशे देखने को मिलते थे, उसके बाद मेडिकल नशे सामने आये लेकिन अब युवा पीढ़ी सिंथेटिक ड्रग्स के चंगुल में फंस चुकी है। सिंथेटिक ड्रग्स की चपेट में आने से प्रदेश के कई युवा अपनी जान गंवा चुके है। नशे का सबसे अधिक असर हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखने को मिलता है जिसमें सबसे पहले नाम आता है जिला ऊना का। जिला ऊना का बहुत ज्यादा क्षेत्र पंजाब के साथ सटा हुआ है।
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ऊना में पिछले कुछ समय में ही करीब आधा दर्जन युवा नशे के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठे है। ऊना जिला में पुलिस द्वारा पिछले कुछ बर्षों में पकड़े गए चिट्टे के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो 2013 से लेकर 2018 तक पुलिस ने चिट्टे के 67 मामलों में 86 आरोपियों को दबोचा था लेकिन बर्ष 2019 के मात्र 11 महीनों में ही पुलिस ने चिट्टे के 48 मामले दर्ज करके 71 आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की है। वहीँ इस साल पुलिस ने मादक द्रव्य अधिनियम के तहत 77 मामले पकड़े है जिसमें से 48 मामले केवल चिट्टा (हेरोइन) के ही है और पुलिस ने इन मामलों में 185 ग्राम और 120 मिलीग्राम चिट्टा बरामद किया है।
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वहीं पुलिस ने 6 किलो के करीब चरस, करीब 127 ग्राम अफीम, 14 किलो चूरापोस्त, 549 ग्राम गांजा और 10 हजार 338 नशीली गोलियां और कैप्सूल पकड़ने में सफलता हासिल की है। एएसपी ऊना विनोद धीमान की माने तो पुलिस नशे के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है और खासतौर पर चिट्टे के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ा गया है। एएसपी ऊना ने बताया कि पिछले बर्षों के मुकाबले इस बार चिट्टे के ज्यादा मामले सामने आए है। वहीं एएसपी ऊना विनोद धीमान भी मानते है कि पहले भुक्की, अफीम, चरस और गांजा जैसे नशे के मामले ज्यादा सामने आते थे लेकिन अब युवा पीढ़ी सिंथेटिक ड्रग्स की गर्त में धंसती जा रही है। इसके पीछे का प्रकार के कारण माने जाते है लेकिन सबसे बड़ा कारण जिला ऊना की ज्यादातर सीमा पंजाब के साथ लगना मानी जाती है।
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बेशक पुलिस ने 11 माह में चिट्टे के 48 मामले पकड़े हो लेकिन इन 48 मामलों में पुलिस ने मात्र 185 ग्राम के करीब ही चिट्टा बरामद किया है। इससे साफ़ प्रतीत होता है कि चिट्टे का कोई बड़ा कारोबारी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया है। एएसपी ऊना की माने तो ऊना जिला में कम मात्रा वाले मामले ही पकड़े गए गए क्योंकि पंजाब बिलकुल साथ सटा हुआ है और अधिकतर लोग वहीँ पर नशे का सेवन कर लेते है और बहुत ही कम मात्रा में चिट्टा अपने लिए और बेचने के लिए लाते है। एएसपी ऊना की माने तो बॉर्डर पर पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है और चिट्टे के आरोपियों की धरपकड़ की जा रही है। वहीं ऊना का बुद्धिजीवी वर्ग भी मानता है कि चिट्टा एक बहुत ही गंभीर समस्या है। इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी नशे की दलदल में धंसने से बच सके।

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